अधराम्नाय विद्येश्वरी महोग्रतारा
ह्रीं
नमस्ते मित्रो , श्रीविद्या पीठम में आपका स्वागत हैं।
भगवान शिव के छह मुखों में से छह प्रकार के श्रीविद्या ओ का उद्गम हैं । यह श्रीयंत्र के छह दिशाए भी हैं और श्रीयंत्र के अंदर प्रवेश करने के छह मार्ग भी हैं ।
श्रीविद्या साधना की प्रदीर्घ अभ्यास उस ज्ञान को छुपाया जाता है अथवा काफी लोग इसको नहीं जानते । इस ज्ञान के बिना वह विद्या अधूरी है । हमने तो काफी श्रीविद्या सीखने वालो को देखा है जिन्हें आम्नाय शब्द का वास्तविक अर्थ तक पता नहीं होता ।
अधर आम्नाय क्या हैं ?
श्रीयंत्र के को छह दरवाजे हैं , उसमें जो श्रीयंत्र का अधो भाग हैं , उसको ही अधर आम्नाय कहा है । वही शिव का अधोमुख भी हैं ।
अधर आम्नाय की शक्ति कौन हैं ?
श्रीयंत्र के इस 6 वे गुप्त द्वार की देवी का नाम महोग्रतारा हैं ।
श्लोक है ,
महोग्रतारां घननिलवर्ण । भीमाठ्ठहासामति घोरदंष्ट्रा ।।
घोराणनाम्बा किल सर्वरूपां । करत्रोकपान्वितपाणीपद्मा ।।
इस महोग्रातारा का वर्ण मेघ के समान कृष्ण वर्णवाला हैं । वह भयंकर अट्टहास करने वाली हैं। अत्यंत भयंकर दांत वाली हैं । भयंकर मुखवाली , सर्वरूपा , हाथोंमें कटारी तथा कपालका धारण करने वाली हैं । वह शवरूपी आसान पर , नरमुंडों की माला से युक्त हैं । बाघ तथा हाथी के चमड़े को उसने शरीर पर लपेटा हैं । नाग आदि सर्पोकी मालाको शरीर पर लपेटा हैं ।
यह देवी श्रीयंत्र के अधर भाग की शक्ति होने के कारण इसे अधराम्नाय विद्येश्वरी भी कहा गया हैं ।
© SriVidya Pitham , Thane
