इंदुकलारविंदम्

इंदुकलारविंदम्

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◆ श्रीविद्या साधना में श्रीयंत्र की पहचान ◆
Part 1
              II इंदुकलारविंदम् ll

ह्रीं
नमस्ते मित्रों ,
श्रीविद्या पीठम , ठाणे में आप सभी का स्वागत है ।

आपने कभी ललिता सहस्रनाम अथवा देवी के कोई स्तोत्र पढ़ते समय इंदुकलारविंदम् यह शब्द सुना होगा ।
आज उसीका अर्थ समझेंगे ।

श्रीयंत्र आवरण

श्रीयंत्र आपने देखा ही होगा । भूपर से लेकर बिंदु और महाबिन्दु तक अलग अलग आवरण होते हैं ।

सामान्यतः श्रीयंत्र को श्रीविद्या साधना में नव आवरण यंत्र अथवा दश आवरण यंत्र भी कहते हैं ।

कुछ संप्रदाय वर्तुल की तीन रेखाएँ नहीं मानते ।

श्रीविद्या साधना में हमें हर एक आवरण में कोनसी देवतां विराजमान है , चक्रों का उद्देश्य क्या समझना आवश्यक हैं ।

इंदुकलारविंदम्

जैसे की , षोडश दल चक्र अथवा आवरण
षोडश दल को इंदुकलारविंदम् स्वरूप में कहा है । अर्थात षोडशदल को इंदुकला कहते हैं । इंदुकला चंद्रकला को कहा जाता हैं ।

सूर्य चंद्र अग्नि ऐसे तीन कलाई होती हैं । श्रीयंत्र की पूजन में तीनों को समनार्घ्य और विशेषर्घ्य में आवाहित किया जाता हैं ।

चंद्र की सोलाह कलाए होती हैं ।
पंद्रह तिथियां होती हैं परन्तु और एक पूर्णकला को अमाकला षोडषी कहा जाता हैं ।
इसलिए अंकगणना में सांकेतिक शब्द इंदुकला का अर्थ षोडश यानी सोलह ऐसा हैं ।

अरविंदम

इंदुकलारविंदम् = इंदुकला + अरविंदम

अरविंदम का अर्थ है , कमल । श्रीयंत्र की षोडशदल का आकार कमल की तरह है । यह सब सांकेतिक शब्द है । श्रीविद्या हो अथवा कोई भी महाविद्या उनके सांकेतिक शब्द समझने आवश्यक हैं । उसीसे वह विद्या का क्या प्रभाव है और मूल शक्ति समझ आती हैं ।

सांकेतिक शब्द का विधान यह है कि अयोग्य व्यक्ति इन सबसे दूर रह सके ।

धन्यवाद ।
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