*◆ कुलपुरुष को श्रावण मास में प्रसन्न करो । ◆*
नमस्ते मित्रो ,
*श्रीविद्या पीठम में आपका स्वागत है ।
श्रावण मास की आप सभी को शुभकामनाएं ।
श्रावण मास में हर कोई शिव जी का कोई न कोई उपासना करता है ।
परन्तु एक विशेष कार्य भी अपने परिवार के लिए करना चाहिए । जिसे आजके पीढ़ी के लोग अनदेखा कर लेते हैं और उस तत्व में दोष निर्माण होकर दबाव बनता है , जिसका परिणाम आजकी पीढ़ी और नए पीढ़ी पर दिख रहा है ।
लोग तो अलग अलग देव देवियों के पीछे पड़कर , घर में कई सारे यंत्र तँत्र रखने के पीछे भाग के , यह भूल जाते हैं कि आपके घर की कुलदेवी और आपके घर यानी कुल का कुलपुरुष ही आपको मदत करेंगा । अगर ये दोनों राजी नहीं तो यंत्र तँत्र और किसी विद्याओं की दीक्षा मंत्रो से कोई फायदा नहीं , क्योंकि विद्याए भी साधको को पहले कुलदेवी कुलपुरुष की शुद्धि के लिए वापस भेजेंगी ।
सामान्यतः लोग इस बात ध्यान ही नहीं देते ।
लोग tv चेनलो पर रामायण महाभारत के प्रवचन सुनते हैं , पर ये सब सुनने से भी कुलदेवी कुलपुरुष आशीर्वाद देने नहीं आएंगे । और हीलिंग के चक्कर भी काम नहीं आएंगे ।
पहले के जमाने में हर बड़े परिवार एक ही घर में रहते थे । घर के बुजुर्गों को घर के रिवाज पता थे , साल में जो भी कुलदेवी कुलपुरुष के रिवाज है , वो किए जाते थे । आज भी कुछ गिनेचुने परिवार में यह रिवाज है । और बहुत सारे लोग इसे भूल चुके और दूसरे भगवानों का आधार लिया ।
अगर द्रौपदी ने पहले ही कृष्ण को बुलवाया होता तो जो कुछ हुआ होता ही नहीं , वो सभामण्डप में बैठे बाकी योद्धा से याचना करने लगी ।
वैसे कुलदेवी और कुलपुरुष को आवाहन करो , बाकी देवताए इन दोनों की रजामंदी बिना कोई काम नहीं करते ।
तुमारा कुल ही ठीक नहीं तो तुम महाविद्याओं की पूजा से कायनात क्या जीतोगे ।
कुलपुरुष विषय है क्या ?
कुलपुरुष यानी आप जिस घर परिवार में जन्म लेते हैं , जिस पुरुष के वीर्य से जन्म लेते हैं , वो घर-घराना जो पहला कब और किस पुरुष से आगे बढ़ा , कई सैकड़ो साल पहले अथवा हजारों साल पहले ….. वो जो मुख्य पुरुष होता हैं उसे कुल का मुख्य पुरुष अर्थात कुलपुरुष कहते हैं ।
कुलपुरुष का कार्य क्या है ?कुलपुरुष खुदके कुल की रक्षा करता है । जैसे कुलदेवी कुल की रक्षा का कार्य करती है वैसे ही ये अपघात से बचना , वंश बढ़ना , खुद के कुल के पीढ़ियों को सही वर्तन की संगती देना , घर की पीढ़ी को नशे से दुर रखना , शरीर में आत्मविश्वास देना , समाज में उस व्यक्ति को मान सन्मान देना , जॉब बिजनेस में अटकाव आए तो अप्रत्यक्ष रूप से मार्ग दिखाना , शादी सही घर में करवाना , बीमारियों से रक्षा आदि कार्य कुलपुरुष करता है ।आजकल जहा देखो डायवोर्स चल रहे हैं ।
कुलपुरुष तुमारा DNA है ।
सिर्फ मेडिटेशन और हीलिंग की अलग थलग क्रियाओं से किसीके डीएनए एक्टिव नहीं होते । जो तुमने बोया है , वही तुम पाओगे । वैसे जो तुमने कुलदेवी और कुलपुरुष को सेवा से प्रसन्न करोगे , वो कुल का डीएनए है जो तुमारे खून में छुपा है , वही तुमारी आने वाली पीढ़ी को संस्कारी पैदा करेगा । डीएनए खराब तो सब खराब ।
इसलिए मित्रों , कुलपुरुष की तरफ ध्यान दे । आप लोग किसी न किसी गुरुओं को फॉलो करते हो । उसका भी कोई फायदा नहीं । जबतक अंदरूनी समझ ही नहीं है फिर किसी को रुतबे के लिए अथवा फैशन के लिए अथवा कुछ बड़ा आध्यात्मिक तेज पाने के लिए , किसी गुरु को फ़ॉलो करने से कोई फायदा नहीं । इससे तुमारे कुलदेवी कुलपुरुष प्रसन्न नहीं होंगे ।
आजकल कुछ लोगो ने घर में कुलदेवी की जगह नए नए गुरुओं के फोटो लाकर रख दिए हैं । ऐसे लोगो की अवस्था और उनके नए पीढ़ी की अवस्था मैने बहुत बुरे होते देखी है ।
बहुत परिवार विदेशों में बसे हैं , आधुनिक शैली में यह रिवाज भूल रहे है । पर आपसे भी पहले से जो भारतीय विदेश बसे हुए हैं , उनमें से कईयो के हाल बेकार है , क्योंकि रिवाज भूल गए ।
जब तुम कुलदेवी और कुलपुरुष कि सेवा करोगे तो धीरे धीरे मार्ग खुलना शुरू होगा ही और आपको किसी ज्योतिष के पास कुंडली दिखाने भी जाना नही होगा और कही भटकाव भी नहीं होगा ।
आप अपने लिए नहीं पर अपने आने वाली पीढ़ी के लिए ये करिए ।
कुलपुरुष की प्रसन्नता कैसे करें ?
कुलपुरुष के अंडर सभी पितर होते हैं । कुलपुरुष की सेवा से सभी पितर कंट्रोल आते हैं ।
श्रावण मास की बुधवार , एकादशी अथवा सोमवार को घर के कुलपुरुष के नाम से सुपारी पर आवाहन करके ब्राम्हणों से रुद्राभिषेक करवाए । हमारे मराठी में इसे लघुरुद्र कहते हैं । इसके लिए 4 से 5 ब्राम्हण लगते हैं । उसमें रुद्रीपाठ से अभिषेक भी होता हैं । इससे आपके कुल की एक साल की रखवाली खड़ी हो जाती हैं । अगर आप खुद छोटा रुद्री पाठ करते तो उससे भी यह कर सकते हो । इसमें हवन भी होता हैं । यह सब आपके आर्थिक परिस्थिति पर डिपेंड है । यह विधी पौष मास में भी कर सकते हैं । पर श्रावण मास मत छोडीए । इसमें महारुद्र भी होता , वो आपकी आर्थिक स्थिति पर रहेगा ।
जैसे जैसे हर साल यह सेवा आप करेंगे , वैसे वैसे आपका घर में भी यश का वास बढेंगा । जो विदेश में यह विधि नहीं कर सकता , वो किसी अच्छे ब्राम्हण द्वारा इंडिया में करवाके ले ।
आवश्यक बात ,
यह विधि आपकी पूरी फैमिली एक होकर करे तो अच्छा रहेंगा । फॅमिली यह वह हो अथवा फॅमिली में कोई अमीर गरीब हो , सभी अहंकार और झगड़े साइड में करके आप पूरा परिवार एक होकर इसको समय दो ।
कोई घमंड में जाएगा तो उसको भी सजा मिलेंगी ।
अमीरी के भी चार दिन होते हैं , पाँचवे दिन समझेंगे की पैसा होकर भी वो पैसा खुदके काम का नहीं आया ।
महाराष्ट्र और साउथ में आज भी इन विधानों का पालन करते हैं ।
मुझे रोज किसी न किसी के फोन आते हैं । उनके बातें सुनकर मुझे दया आती हैं । कुछ लोग अपने बच्चों सहित दस दस साल किसी संस्था या किसी गुरु को देते हैं , उनके फ़ोटो यंत्र किताबे रखेगे , उनके दिए ध्यान विधि मंत्र विधि करेंगे । स्टार्ट में ये सब अच्छा लगता है पर कुछ साल बाद सब उलटा हो जाता है । जो था पहले वो भी नहीं रहता और बीमारियां शुरू होना , बच्चों के अच्छे करियर बिगड़ना , मेंटल प्रॉब्लम , अपघात होना , पति पत्नी के झगड़े शुरू हो जाते है । और ऐसे लोग मूर्खो की तरह खुदके कमाए लाखो रुपये ऐसे संस्था गुरुओं को देते हैं ।
ये पैसा अगर घर की कुलदेवी कुलपुरुष की गति के लिए लगाते तो अच्छा रास्ता मिल ही जाता और आने वाली आपकी ही कई पीढियां आपको याद रखती ।
आज भी राज परिवार , जो पहले से खानदानी अमीर है और जो ब्राम्हण परिवार है इनमें पहले कुलदेवी और कुलपुरुष को पहला स्थान है , वो किसी गुरुओं की फ़ोटो पूजाघरों में नहीं लगाते । अगर उनको किसी गुरु संत को पकड़ना है तो उसे वो कभी कुलाचार से नहीं जोड़ेंगे अथवा कोई भी सच्चा गुरु आपको ये रिवाज करने को कहेगा ही । इसलिए बड़े परिवारों के गुरु लोग वैसा ही रास्ता दिखाएंगे । ये लोग बिना सोचे समझे कोई दूसरा भगवान घर में लाकर नहीं रखेंगे । जबतक उनकी कुलदेवी आदेश न दे ।
परिवार को आगे बढ़ना और खुद की आध्यात्मिक प्रगति करना दोनों का समन्वय आपको समझना होगा ।
में आपको इसलिए समझा रहा हु , यह मुख्य ज्ञान नहीं दिया गया तो आपकी ही आने वाली पीढ़ी आपको कोसती रहेगी । राम , कृष्ण जो भी हो वो भी अपने राज परिवार में खुदके कुलदेवी को ही प्रणाम करते थे । आप _श्रीविद्या करेंगे तो श्रीविद्या की पहली स्टेज महागणपति साधना कुलपुरुष के लिए ही है , बगलामुखी करेंगे तो हरिद्रा गणेश की साधना कुलपुरुष के लिए है_ , महाविद्या भी इनके आशीर्वाद बिना काम नहीं करती ।
आप इस श्रावण मास में अपने परिवार सहित यह विधान जरूर कीजिए ।
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धन्यवाद ।
*श्रीविद्या पीठम , ठाणे*
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