Sri Vidya – Krityaa Sadhna (कृत्या साधना) 1

Sri Vidya – Krityaa Sadhna (कृत्या साधना) 1

 

◆ श्रीविद्या श्रीपरमशिव की कृत्या साधना ◆
भाग : १

मेरे शरीरधारी गुरु तथा मेरे पराजगत के गुरु श्रीमहावतार बाबाजी को प्रणाम , करके उनकी प्रेरणा से ये महत्वपूर्ण ज्ञान आपतक पहुचा रहा हूँ ।

आज हम श्रीविद्या अंतर्गत एक बड़ी गुप्त साधना के विषय में जानेंगे । कुछ लोगो ने इसे सुना होगा और बहुत लोगो ने इसे आजतक सुना नहीं होगा ।

पहले तो हम , इस विषय की जानकारी जहा से मिली उन सारे तत्वों का आभारी है।

श्रीविद्या साधक को कृत्या क्या है , इसका थोडासा अंदाजा होना चाहिए। हमारी संस्था में यही प्रयन्त रहता है कि हम श्रीविद्या साधक को बेसिक विषयो का ज्ञान दे , जबतक श्रीविद्या का विस्तार आपके समझ में नहीं आएगा तबतक श्रीविद्या की अद्वैतावस्था प्राप्त न हो सकेगी।

श्रीविद्या अंतर्गत कृत्या शक्ति की जानकारी इस लेख में देखेंगे ।
भण्डासुर के 105 ब्रम्हांडो के विस्तार को खत्म करने के लिए श्रीकामेश्वरी ने महाकामेश्वरास्त्र चलाया था उसमें कृत्या की शक्ति थी ।

ये सब सुनने को अच्छी बात लगती है।
पर विज्ञानवादी सोच से हमे सवाल उठने चाहिए कि एक असुर इतने ब्रम्हांड की उत्पत्ति कैसे कर सकता है ? एक झटके में सारे ब्रम्हांड खत्म कैसे हुए ?
जिस ब्रम्हांड में नवग्रहों सहित जीव रहते हो ।
अस्त्र विद्या चलाए कैसे जाती हैं?  …… इन गुप्त विषयो का ज्ञान श्रीविद्या साधक को रहना चाहिए।

श्रीविद्या एक आध्यत्म की पुर्णतः है , फिर जितना आवश्यक हो उतना ज्ञान समेटना जरूरी है तथा बेसिक पायाभूत ज्ञान श्रीविद्या में गुरु से लेना भी चाहिए। गलत शिबिरो में हजारो की टिकिट लगाकर इसे पाया नही जाता । गुरु अपने विश्वास से उसे शिष्य को देता है।

कृत्या शक्ति वो है , जो साधक स्वयं के द्वारा पैदा किया हुआ काल्पनिक शरीर , ………… जेसे की बहुत लोग किसी देवी देवता को मन ही मन इतना प्रगढ़ बना लेते है की उस की कल्पना इतनी गहन हो जाती है की साक्षात् सामने ही होती है , इसी भाव में होते हैं।
श्रीविद्या साधक , एक बात समझे की , …….. शिव कहते है की तुम्हारे विचार जितने गहन और पूर्ण होंगे वो उतनी ही जल्दी ब्रह्माण्ड में जायेगे और ब्रह्माण्ड उन को वस्तु या वो देगा जो तुम चाहते हो ।

बात तो पूरी सच है ।
पर इसको आजमाना अत्यंत कठिन । और इसी conscious or unconscious के मन से कुछ गुरु लोग आपके मन से खेलते है और अपने खुद के गलत विचार डालकर , आपको उनका गुलाम बनाते हैं।

आपको पता भी नहीं चलेगा की आपके साथ क्या हो गया है । आजकल कुछ अध्यत्मिक संस्थाओं में ऐसे साधक दिखते है , जिनका मन पूरा हिप्नोटिज्म हुआ है।
शिव की इस बात को सच करने के लिए , पहले साधक की सङ्कल्प शक्ति तीव्र गति की होनी चाहिए। और दो सङ्कल्प एक होने चाहिए ।
यही उत्तर है कि आपकी श्रीविद्या साधना फलीभूत क्यों नहीं होती ।
दो सङ्कल्प एक कैसे होंगे?

ये तो एक जानकारी थी कृत्या की , में किसी विधि के खण्डन में हु न समर्थन में क्यों की शिव कहते है लिप्त मत रहो किसी भी चीज़ में  , ……. तुम आज हो कल नहीं ……… जीवित रहोगे मात्र उपयोग के लिए …….. समझो संसार के अस्तित्व को जो बदलना है तो ईश्वर स्वयं बदल देगा …..   कुछ बनाना है तो स्वयं को द्रष्टा बना कर कर्म करो ।

कृत्या साधना एक भयानक साधना है ।  इसमे मानस रचना का समावेश है ।

जब भस्मासुर ने भगवान् शिव को ही भस्म करने का मन बनाया , तभी मोहिनी अवतार लेकर श्री हरि ने उनका बचाव किया ये मोहिनी और कुछ नहीं । मानस रचना ही थी। ………. इसके अलावा जब देवो और दानवो में अमृत को लेकर बहस हुई तब मोहिनी अवतार लेकर भगवान् विष्णु ने उनको अमृत पान से रोका था। भगवान शिव और श्री हरि दोनों कृत्या सिद्धिया में माहिर थे। ……… एक जगत में अन्य जगत को निर्माण करने का अहसास करना ।

कृत्या साधना वशीकरण , मारन , उच्चाटन , के लिए अमल ली जाती है । तीन कृत्याए प्रगट होती है । मारन कृत्या , मोहन कृत्या , उच्चटन कृत्या । इनकी सिद्धी के बाद हजारो मिल बैठकर साधक कोई भी काम अपने मन की वेग से अमल में ला सकता है । किसी भी उपद्रव को समाप्त कर सकता है ।

हर एक महाविद्या की अपनी एक कृत्या होती हैं । उस महाविद्या का कार्य संपन्नता उनीसे होती है ।  बगलामुखी की भी पहले के जमाने में कृत्या रूप में पूजा जाता था ।
थोडासा गहराई में अभ्यास करें तो कृत्या हर एक मानव शरीर मे बसी हुई हैं । बस उसको सही से चलाना नही आता ।
धन्यवाद ।
क्रमशः …

 || Sri Matre Namah ||

Contact us to learn Sri Vidya Sadhna: 09860395985

 Subscribe to our Youtube Channel !!

Join us on Facebook !!

Share

Written by:

215 Posts

View All Posts
Follow Me :

Leave a Reply

error: Content is protected !!
× How can I help you?