गुप्त नवरात्री की गुप्त बातें
ॐ
नमस्ते मित्रों ,
श्रीविद्या पीठम में आप सभी का स्वागत हैं ।
गुप्त नवरात्री में तामसी शक्तियों का और उससे समकक्ष महाविद्याओं का पूजन होता हैं ।
कभी आपने सोचा हैं क्या ?
देवलोका में इनका पूजन कैसे होता हैं ? ब्रम्हांड में कैसे परिवर्तन होता हैं ?
देवलोक में गुप्त नवरात्री में अमावस्या को प्रथम दिन और पूर्णिमा को अंतिम दिन माना जाता हैं । इस तरह उनके प्लेनेटरी सिस्टिम के अनुसार वह होता हैं ।
इन दिनों में देवलोक के जो अलग अलग लेयर्स में अनेको देवी देवताए होते हैं उनके महलों में अंधेरा ही रखा जाता हैं । मतलब दिए का प्रकाश ज्यादा नहीं रखा जाता ।
क्योंकि गुप्त नवरात्री में बहुत तेज शक्तियाँ विचरण करते हैं , उनके ऐसे ही कोई देख नहीं सकता ।
सूर्य हमेशा स्थिर रहता हैं । पृथ्वी हमेशा खुद अपने सर्कल में और सूर्य के सभोवताल घूमती हैं । उसको अपनी खुदकी गति और सूर्य के सभोवताल की गति तथा उस प्लेनेटरी सिस्टम में उसका खुदका गति , ऐसे तीन गतियों को संतुलित करने का कार्य गुप्त नवरात्री में यह तीव्रतम शक्तियाँ करती हैं ।
गुप्त नवरात्री में ओक नाम के पेड़ का तांत्रिक जगत में ज्यादा महत्व हैं । क्योंकि ब्रम्हांड में घूमने वाली अनेको शक्तियों को एक रेखा में जोड़कर बाइंडिंग करना बहुत जरूरी होता हैं । ओक नाम के पेड़ के पत्ते के ऊपर यह सभी तत्व बॅलन्स करना कार्य सोपा गया हैं ।
इस तरह से गुप्त नवरात्री में यह गुप्त बाते भी महत्वपूर्ण हैं ।
Artical publish by SriVidya Pitham .