गुरु भक्ति सूत्र कविता 1 

गुरु भक्ति सूत्र कविता 1

वेशभूषा कायम करे मन से रहे अडिग
भुत रहे चोला भजे करे न प्रीत घडिक

माला जटा खूब पहने पहने न ज्ञान विवेक
आडम्बर अति लालसी सिमरे माया अनेक

ज्ञान भक्ति के रंग बताये खुद ना चले कदम एक
दुसरे को भाषण देत है खुद भुला आत्म विवेक

प्रभु न जानत अनाम को नामी भजे हज़ार
नामी से नामी मिले तो होवे बेडा पार

संत को समजा नहीं भजे वेश और रूप
नरक पड़े इस जन्म में न मिले निज स्वरुप

शब्द ढूंढने को गया बिक गया माया हाथ
प्रेम रस पिया नहीं न मानी सदगुरु की बात

निज घर खोजे निज घर में यही है ज्ञान विवेक
माया ठगे जो बहार खोजे मिले जो रस्ते अनेक

हुशियार साहूकार चतुराई की
खानी है
जो सब जगह निर्मल रहे वो ही उचा ज्ञानी है

ज्ञान विज्ञानं का घर करे न करे प्रभु से प्रीती
साहेब समजावे शिष्य को प्रेम ही मिलन की रीती

……….. किंजल जी व्यास गुरुजी

Share

Written by:

213 Posts

View All Posts
Follow Me :

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
× How can I help you?