बालाकांडम
ॐ
नमस्कुरु सिद्धविद्याश्रम
श्रीविद्या पीठम में आप साधक वाचकों का स्वागत हैं ।
महावतार बाबाजी और श्रीस्वामी समर्थ जी कृपा से यह लेख हम लिख रहे हैं ।
जैसे हमने श्रीकांड का एक भाग लेख आपने पढ़ा । उसके आगे थोड़ा ज्ञान प्राप्त करते हैं ।
यह लेख का ज्ञान सिर्फ श्रीविद्या पीठम द्वारा ही उपलब्ध हो रहा हैं । यह ज्ञान अन्य जगहों पर उपलब्ध नहीं हैं ।
बालाकांडम …………. एक ग्रंथ हैं ।
हिमालय के अतिप्राचीन आश्रमों में जो श्रीविद्या का ज्ञान दिया जाता हैं , वह एकदम अलग होता हैं ।
मनुष्यों की श्रीविद्या और ऋषि मुनियों के लिए श्रीविद्या का ज्ञान दोनों अलग अलग हैं ।
आजके समय में काफी लोग श्रीविद्या साधक बने हुए मिलेंगे पर 80% श्रीविद्या साधक गलत प्रकार की दीक्षा में फसे हुए मिलेंगे ।
ज्ञान के गहराई तक उतरने के लिए गुरु भी उस तरह का चाहिए ।
बालाकांडम …… इस ग्रंथ में बाला त्रिपुरसुंदरी विषयक ज्ञान जो ऋषियों को दिया जाता हैं , वह सबकुछ हैं ।
इसमें चार विभाग हैं ।
१) धृतकांडम
२) निद्रायांश कांडम
३) धींग्राम कांडम
४) सुविद्राम कांडम
इन कांडम में बहुत गुप्त जानकारी छुपी हुई हैं ।
जैसे एक श्रीविद्या साधक को दीक्षा लेते समय आप जिस देवता की दीक्षा ले रहे हैं , उसके बारे में कुछ तो ज्ञान होना जरूरी हैं ।
अन्यथा बहुत लोग लाखों रुपए खर्च करके भी प्राथमिक ज्ञान से अधूरे ही रहते हैं ।
हमें श्रीविद्या में यह समझना हैं की ,
बाला का जन्म हुआ क्यों ? वो उस रूप में क्या कर रही हैं ? बाला का वो रूप आवश्यक क्यों हैं ? जीवन और आध्यात्मिकता में उस बाला की जरूरत ही क्या थी ? बाला किस आसन सिंहासन पर बैठती हैं ? उस सिंहासन को कितने तत्व जुड़े हुए हैं ?
वह रहती कहा हैं ?
बाला का मनुष्यलोक से क्या संबध आता हैं ?
बाला मनुष्यों में , खासकर महिलाओं में क्या भूमिका निभाती हैं ?
बाला के तत्व की थिअरी क्या हैं ?
वो ऊर्जा जरूरी ही क्यों हैं और थी ?
मनुष्य और पक्षियों में उसकी जरूरत ही क्यों हैं ?
बाला आखिर ऊर्जा ही क्या हैं ?
यह ऊर्जा बनती कैसे है , विस्तार कैसे करती है और आखिर उसका विस्तार क्यों जरूरी है ?
ऐसे काफी सारे विषयों का ज्ञान श्रीविद्या साधना में बाला त्रिपुरसुंदरी पर आधारित हैं ।