श्रीविद्या ~ श्रीयंत्र … प्राथमिक ज्ञान ~ भाग १३
ॐ
नमस्ते मित्रों , श्रीविद्या पीठम में स्वागत हैं ।
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✡️ महाबैंदव चक्र – कल्पित षोडश आवरण Explanation ✡️
श्रीविद्या क्रमदीक्षा पद्धति में पिछले लेख तक , आपने नवावर्ण अर्थात श्रीयंत्र के ९ आवरणों का क्रम तथा प्राथमिक जानकारी प्राप्त की । श्रीविद्या साधनाक्रम में पंचदशी दीक्षा अनुसार नवावर्ण पूजन संपन्न होता हैं । नवावर्ण अर्थात नवयोनियों का पूजन । नवयोनी अर्थात श्रीयंत्र ।
श्रीविद्या साधना में पंचदशी दीक्षा के आगे षोडशी दीक्षा होती हैं ।
षोडशी दीक्षा की पद्धति , श्रीयंत्र पूजन क्रम आदि पंचदशी दीक्षा से अलग हैं ।
पंचदशी पद्धति में श्रीयंत्र की ९ आवरणों का पूजन होता हैं । तथा , षोडशी दीक्षा पद्धति में श्रीयंत्र के ( ९ आवरण + वृत्त चक्र + बिंदु के अंदर सूक्ष्म ६ आवरण = एकुन १६ आवरण ) का पूजन होता हैं । इसलिए उसे षोडशी पूजा कहते हैं । यह अत्यंत महत्वपूर्ण जानकारी हैं । यह गुप्त रहस्य सिर्फ श्रीविद्या पीठ में उपलब्ध हैं ।
षोडशी दीक्षा में श्रीयंत्र के महाबैंदव चक्र को ” परब्रम्हात्मक चक्र ” कहा जाता हैं । महाबैंदव चक्र – महाबिंदु हैं । इनमें कल्पित आवरण हैं । कुछ जानकारी हमने पिछले लेख में दी हैं । इस लेख में हम महाबिंदू के अंदर कल्पित आवरण होते हैं और उस आवरण में कौनसी शक्तियां पूजी जाती हैं , उस विषय पर जानकारी दी हैं ।
🍁 श्रीयंत्र के महाबिंदु में कल्पित षट्कोण ✡️ होता हैं । इस षट्कोण रूपी आवरण में अलग अलग शक्तियां पूजी जाती हैं । जिसमें ,
१. दश आम्नाय विद्याएं शक्ति देवियां
२. चार समया देवियां तथा उनकी चरणपादुका
३. सात शांभव शक्ति देवता
४. डाकिनी से याकिनी तक सात चक्र योगिनियां
५. पांच पंचिका शक्ति देवियां ( हर पञ्चिका में ५-५ देवियां होती हैं । )
( श्रीविद्या पीठ में अत्यंत महत्वपूर्ण गुह्य ज्ञान की जानकारी दी जाती हैं । )
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श्रीयंत्र के बिंदु अंतर्गत महाबिंदु में कल्पित षट्कोण की आकृति देखिए ।
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कल्पित षट्कोण में दश आम्नाय विद्या शक्ति देवियों का पूजन होता हैं ।
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कल्पित षटकोन में आगे चार समय देविया और उनकी चार चरण पादुकाओं का पूजन होता हैं ।
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षोडशी विद्या में कल्पित षटकोन में सात शाम्भव देवताओं का पूजन होता हैं ।
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षोडशी विद्या में कल्पित षटकोन में सात चक्र योगिनियों का पूजन होता हैं ।
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षोडशी विद्या में कल्पित षटकोन में ५ पंच पञ्चिका देवियों का पूजन होता हैं । हर पञ्चिका देवी के नीचे ५-५ देवियां आती हैं ।
१. लक्ष्म्यम्बिका पञ्चिका २. कोशाम्बिका पञ्चिका ३. कल्पलताम्बिका पञ्चिका ४. कामदुघाम्बिका पञ्चिका ५. रत्नाम्बिका पञ्चिका
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