मातृका चक्र १) ” अ अं ” अक्षर की श्रीअजामुखी देवी

मातृका चक्र १) ” अ अं ” अक्षर की श्रीअजामुखी देवी

श्रीअमृता देवी / श्रीअजामुखी देवी


नमस्ते मित्रों ,
श्रीविद्या संजीवन साधना पीठम में आपका स्वागत हैं ।

आज हम श्रीअजामुखी देवी के विषय पर ज्ञान लेंगे ।

५१ मातृकाओं के विषय पर आप जानते ही होंगे ।

देवताया: शरीरं तु बिजादुत्पद्यते ध्रुवं ।।
इस श्लोक को ध्यान से पढोगे तो समझ आएंगा की देवताओं का मूल जन्म का केंद्र अथवा बीज यही ५१ बीजाक्षर हैं ।
अगर आपने मंत्रो के गलत बीजाक्षरों के उच्चारण किए तो विकृत देव शक्ति प्रगट होगी ।
इसलिए सभी मंत्रो को सही गुरु के द्वारा समझकर ही दीक्षा धारण करनी चाहिए ।

इन ५१ मातृकाओं की ५१ देवीया हैं ।
हर देवी का स्वरूप , रंग , स्वभाव , शक्ति , गुण अलग अलग हैं ।

सभी बीजाक्षरों में एक ही ऐसा अक्षर है जो सबमें आता हैं , वो हैं ” अ ” ।
अगर ‘ म ‘ शब्द लेंगे तो उसमें भी ‘ म् + अ = म ‘
इसी तरह से सभी अक्षरो में अ अक्षर आता ही हैं ।

५१ बीजाक्षरों का पहला शब्द ” अ ” हैं ।
ॐ इस मूल शब्दब्रम्ह अथवा मंत्र का भी पहला अक्षर ” अ ” हैं ।

इस ” अ ” बीज अक्षर की देवी का नाम ” अमृता अथवा अजामुखी ” हैं ।

” अ ” का अर्थ हैं ,
unborn …. अजन्मा
Unproductive …. जिसकी कोई निर्मिती नहीं
Beyond being or Nonbeing
इतना महत्व इस पहले बीजाक्षर का हैं ।

अधिक जानकारी के लिए इस लेक्चर को सुनिए ।

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