◆ श्रीविद्या कामेश्वर की मृतसञ्जीवन और महामृत्युंजय विद्या की सत्यता ◆
भाग : १
नमस्ते मित्रों ,
ॐ श्रीमहाकामेश्वराय नमः ।।
श्रीविद्या संजीवन साधना सेवा पीठम में स्वागत हैं।
इस श्रीविद्या साधना की श्रृंखला में , ये दो विद्याओं को थोड़ा समझना ओर ये विद्याए कैसे चलती है , इसका सामान्य रूप से ज्ञान होना जरूरी है ।
सबसे पहले तो आपके पास श्रीविद्या साधना अंतर्गत पंचदशी मंत्र है तो इन विद्याओं की जरूरत ही नही । श्रीविद्या पंचदशी दीक्षा में तभी उतरा जाता हैं , जब साधक को ऐसे अलग अलग विद्याओं को लेकर मूल परमशक्ति का मार्ग नही मिलता ।
भगवान परशुराम जी भी श्रीविद्या दीक्षा लेने से पहले अनेको महान विद्या – सिद्धियो में पारंगत थे । पर मूल शक्ति को नही समझ पाए । आखिर बड़ी परीक्षा के बाद उनोन्हे श्रीदत्तात्रेय से श्रीविद्या साधना से मुलशक्ति को जाना ।
तो आज के श्रीविद्या साधक , श्रीविद्या में उतरने से पहले अपना उद्देश्य पक्का करे ।
कुछ जगह , श्रीविद्या साधना में मृतसञ्जीवन और महामृत्युंजय विद्याओं को चलाया जाता है , जो कि गलत है । और इसे लेने वाले साधक भी ….. विद्याओं की गहराई नही समझ पाते ।
ये सारे मन्त्र एक प्रकार से बड़े अस्त्र की तरह है , जो हम जाप तो कर रहे हैं , पर अस्त्र चलाना कैसे ? आता नही …… इसके कारण , अस्त्र प्रयोग उलटा साधक पर होता है । और साधक गलत मन्त्र दीक्षा के कारण जीवन श्रापित करता है ।
आज हम शिव की इन दो विद्याओं को जानेंगे ।
प्रथम …… महामृत्युजंय मंत्र प्रयोग ओर सँजीवनि मंत्र प्रयोग दोनों अलग अलग है । दोनों साधना अलग है । ….. उसके बाद इन्ही दो मंत्रो के मिलन से बनने वाला प्रयोग भी अलग है । तीनो के कार्य और उद्दीष्ट अलग ।
महामृत्युजंय मंत्र प्रयोग कब काम आता हैं ?
जब किसी व्यक्ति का जीवन आरोग्य दृष्टी से अड़चन में है , कोई व्यक्ति मृत्यु के द्वार पर है , गंभीर बीमारी से मृत्यु के पास होना , अपघात योग बन रहे है , अथवा कोई व्यक्ति अपघात क्षेत्र में कार्य कर रहा है यानी जीवन को धोका है , कोई व्यक्ति को किसी से खतरा है … जैसे मर्डर ई. …….. इनमें एक बात ध्यान रखिए ।
ये मंत्र किसीको मृत्यु के बाद काम नही आता अथवा उसकी आत्मा फिरसे उसके शरीर मे आकर पुनर्जीवन नही मिलता ।
ऊपरी उदाहरण में दिए हुए ….. से बचाव के लिए पहले व्यक्ति के जीवन मे , दीर्घायु का योग चाहिए ।
आप सोचेंगे कि , मृत्यु के द्वार पर पीड़ा सहन करने वाले व्यक्ति के जीवन मे पहले से ही दीर्घायु योग , कैसे होगा ? बल्कि वो तो मरा जा रहा है ।
हम , साधनाओ को आगे बढाते बढाते कुछ मुख्य ज्ञान के विषयों को दुर्लक्षित करते हैं।
कोई भी व्यक्ति का जब जन्म होता है , तब जैसे जन्म की तारीख पक्की है वैसे मृत्यु की तारीख भी पक्की है । एकतरह से अपनी पूरी जीवन पुस्तक उसके साथ होती हैं।
हर एक व्यक्ति के जीवन मे कम ज्यादा स्वरूप में गण्डान्तर दोष आते है , जिससे आयु कम होने का खतरा रहता हैं। पर किसी भी प्रकार के अपघात से ऐसे व्यक्ति बचते है और आयु … दीर्घ हो जाती है । ….. पर कुछ लोगो के नसीब में ये नही होता । कुछ व्यक्ति तो छोटे से कारण से भी मर जाते हैं।
ऐसा क्यों होता ?
वास्तविक रूप से देखे , तो व्यक्ति के नसीब में परमेश्वर पहले से ही कुछ पुण्य …. रिजर्व रूप में कुछ FD के रूप में और कुछ सेविंग के तौर पर ……. देते है ।
इस पुण्य का उपयोग जब व्यक्ति को इमरजेंसी होती है , तभी होता है । ….. हम किसी शुभ कार्य के लिए प्रार्थना कर रहे हैं , वो फलित हुई …… ऐसे वक्त में भी यही पुण्य काम आते हैं।
नसीब के कुछ पुण्य ऐसे होते है कि , जब आपको जरूरत होती है , तब उसका आपको फायदा नहीं होता , क्योंकि उस पुण्य को रोकने के लिए अन्य शक्तियाँ भी वही रहती है । ……. ऐसे में कभी कभी तीसरे व्यक्ति की प्रार्थना अथवा किसी गुरु के आशीर्वाद से ….. वो अन्य बुरी शक्तियाँ दूर होकर ….. पुण्य की शक्ति , व्यक्ति को मिलती हैं ओर अड़चने दूर होती हैं ।
अपने रोज की जीवन मे तथा आसपास के लोगो का जीवन देखिए , ऐसे कई उदाहरण आपको मिलेंगे ।
तो पहले महामृत्युंजय मंत्र प्रयोग से पहले , कर्म और पुण्य की लड़ाई हम देखे । हर एक मनुष्य के जीवन मे दोनों चलते कैसे है । यह एक अभ्यासनिय विषय है ।
अब यह , महामृत्युंजय मंत्र कब फायदा देता है ।
यह सबको ही हर समय फायदा नही देंगा , अगर ऐसा होता तो किसी के जीवन मे रोज की अड़चने आती ही नही ।
किसी व्यक्ति का गंभीर रूपसे अपघात हुआ है , उसके पास पुण्यबल है …. पर काम नही आ रहा और किसी की प्रार्थना भी नहीं काम आ रही । फिर ऐसी कोनसी शक्ति है जो उसको इन पेचीदा परिस्थिति से उभारे ?
तब महामृत्युंजय मंत्र प्रयोग काम आता है ।
इस अवस्था मे व्यक्ति मरा हुआ नही है ।
स्वतः इस मंत्र प्रयोग से शिव तत्व , उस व्यक्ति के जीवन मे मध्यस्थी करने आते है । और उसकी अड़चन खत्म होकर , आयु बढ़ जाती है । इसमे खुद शिव अपना पुण्य नही देते …… क्योंकि , कोई भी देवता किसीको मार्ग दिखा सकती है , परन्तु खुदाका पुण्य देकर ” काल ” पुरुष के कार्य को रोक नहीं सकते ।
नियती के भी कुछ नियम है , जो तीनों तत्व तोड़ नही सकते ।
व्यक्ति का ही पुण्यबल वहां ट्रांसप्लांट होता है ।
धन्यवाद ।
क्रमशः …..
श्रीविद्या पीठम , ठाणे