शिवोहं

शिवोहं

◆ श्रीविद्या साधना में शिवोहं का अर्थ ◆

ह्रीं
नमस्ते मित्रों ,
श्रीविद्या पीठम , ठाणे में आपका स्वागत है ।
हम देखते हैं बहुतों जगह लोग ” शिवोहं शिवोहं “ कहते हैं ।
अर्थ के विषय में पूछे तो इनको इतना तक ही पता होता हैं की , शिवोहं सिर्फ शिव है और शिव ही ज्ञान हैं । उसके आगे अथवा पीछे अथवा बीच में इनको कुछ भी ज्ञान नहीं होता अथवा दिया नहीं जाता ।

श्रीविद्या में आपको गहरे अभ्यास से इसे समझना चाहिए । अधूरी जानकारी हमेशा घातक होती हैं , यह आजकल की गलत साधना करने वाले लोगो से हम देख ही रहे हैं ।

शिवोहं = शिव + अहं = श+ई+व  + अ+हं

पहले शिव को समझो , शिव को समझने के लिए 16 तत्व स्वरूपी शिव और मूल 36 तत्व स्वरूपी परमशिव की व्याख्या समझनी चाहिए । 
अगर शिव जी के आगम निगम शस्त्रों को पढ़ेंगे तो पता चलेंगा , की हर जगह शिव जी कह रहे हैं तीनो देवताओं की मृत्यु हो जाती हैं अर्थात शिव जी का भी पद समाप्त हो जाता हैं । वह नए शिव पद पर विराजमान होते हैं ।

अब मित्रों , यहाँ आपकी मानसिकता क्या होगी ? आप किस शिव को अथवा शिवत्व को समझेंगे ?
आपको अधूरी जानकारी देकर शिव शिव कहने को भावनिक किया जाता हैं ।
शिव की अद्वैतता को समझना इतना भी आसान नहीं होता ।
उसके लिए आपको 16 तत्व रूपी शिवत्व का अभ्यास और आगे 36 तत्व रूपी महाशित्व का अभ्यास गहराई से करना चाहिए ।

श्रीविद्या में बहुत लोग 5 – 10 साल से होते है , श्रीयंत्र अथवा पंचदशी जाप करने पर भी उन्हें ये बेसिक ज्ञान नहीं होता ।

शिव अद्वैत अर्थात शिव ने चैतन्य शक्ति से एकरूप बनकर मेटर अर्थात जड़त्व धारण किया हैं । यह जड़त्व 1D 2D 3D से लेकर 12D तक हैं । 
जड़त्व मतलब सिर्फ मनुष्यो की आखों को जो दिखता है वही नहीं ।
मनुष्य की पंच इंद्रियों से परे का जगत भी एक जड़ अवस्था में ही , पर वो मेटर अलग है ।

इसको समझने के लिए पीठ की उतपत्ति समझनी चाहिए , कामरूप उड्डियान जालंधर कामाख्या पीठ आदि शिव के साथ चैतन्य ने समागम कैसे किया ? पीठ सिर्फ भारत में है ऐसा नहीं , संपूर्ण पृथ्वी पर अलग अलग जगह है । कुछ गुप्त है तो कुछ खुले हैं । कुछ सूक्ष्म में है जिसे मनुष्य की आँखे नहीं देख सकती ।

यह सब सिर्फ शिवोहं कहके नहीं होगा अथवा में शिव शिवा हु कहके नहीं होगा ।

शिव को भी उसका शिवत्व समझने के लिए काकभुशुण्डि जी को गुरु बनाना पड़ा , वो भी रूबरू गुरु ।
वैसे ही शिवोहं जो समझने के लिए साधक को गुरु से रूबरू होकर एकाकार होना चाहिए ।
अगर आपकी क्षमता कितनी है ? आपका विकास होने में कौनसी अड़चने आ रही हैं ? कोई अनुभव अनुभूति आपको हो रही हो तो उसे समझकर कैसे त्याग करना है ? ये बहुत विषयों की चर्चा सिर्फ गुरु के साथ रहकर ही होती हैं ।

अनंत यूनिवर्स में अनंत शिव भरे हैं , कुछ में तो वह भी नहीं हैं । हम सिर्फ इसी एक यूनिवर्स के शिव तत्व के 16 तत्व को नहीं समझ पा रहे हैं ।
प्रकृति पुरूष कैसे कार्य करती हैं ?
पुरुष रूपी ज्ञान को प्रकृति रूपी चैतन्य को जोड़कर मेटर कैसे बनता है ?
बहुत ही गहरा अभ्यास है ।

जब 16 तत्व जिन्हें श्रीविद्या में षोडषी कहा जाता है , जिसमें श्रीयंत्र का बिंदु तक का आरोहण होता हैं । उसके आगे 36 तत्व की तरफ आरोहण होता हैं ।
उसमें श्रीयंत्र की बिंदु के आगे अर्धचंद्र अवस्था , नाद अवस्था , समना , व्यापिका अवस्था का ज्ञान होना आवश्यक हैं । ( Check our Blog link Article https://srividyapitham.com/शिव-से-शव-की-ओर-part-1/)

शिवत्व अर्थात सही ज्ञान , स्थूल सूक्ष्म अतिसूक्ष्म ज्ञान , जो सामान्य बुद्धि से परे हैं । वो ज्ञान समझने के लिए शरीर में देवत्व के कणो का वास अथवा आगमन होना आवश्यक हैं । देवत्व कण बिना गुरु संपर्क नहीं होता । साधक को पवित्र बनने की हर क्रिया को जानना जरूरी हैं । देव गण अथवा देव कण न व्यक्ति के कोई चक्रा देखते हैं न ओरा न किसने कितने जाप किये हैं अथवा न किसने घर में कितने श्रीयंत्र रखे हैं । वो परीक्षा अलग ही हैं ।
भले तुम्हे क्यों शिव जी अपने आपको पहचान ने की इच्छा रखें ? बहुत विषयो को ठीक से समझा करे , मित्रों !

अनंत को समझने के लिए पहले तुम्हे अपने विचारों को अनंत बनाना होगा । यह गुरु की संगत से ही होगा ।

श्रीविद्या में कभी एक बात ध्यान रखना , बिना शिवत्व धारण किये शक्ति आभास नहीं देती , शक्तित्त्व को प्रगट करने के लिए तुम्हे अपने शिवत्व का त्याग कर शव बनना आवश्यक हैं । आप सोचेंगे शव मतलब मृत होना ? …… शव अर्थात शिव रूपी ज्ञान का त्याग करना और वो नीरअहंकार वृत्ति अपनाना , तभी काली प्रगट होकर चैतन्य दिखाती हैं ।

यह सब बारीक बारीक दाव हैं ।

आज तो मित्रों इतना ही , अगर इस विषयो को ठीक से समझना हो तो हमारे लिंक से और ज्ञान ले , हम उसमें आपकी मदत करेंगे ।
बहुत लोग हमारे पास आकर रहते हैं और श्रीविद्या तथा अन्य विषयों पर ज्ञान ग्रहण करते हैं।

धन्यवाद ।

 

Share

Written by:

213 Posts

View All Posts
Follow Me :

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
× How can I help you?