श्रीअनघा दत्तात्रेयी देवी अवतार
ह्रीं
नमस्तेस्तु मित्रों ,
श्रीविद्या पीठम में आप सभीका स्वागत हैं ।
Artical Publish by : SriVidya Pitham
श्रीविद्या साधना का नाम जब आता हैं , तब श्रीदत्तात्रेय जी याद आते हैं ।
श्रीदत्तात्रेय जी श्रीविद्या आचार्य थे और उनके शिष्य भगवान परशुराम जी ने उनका श्रीविद्या कार्य आगे बढाया ।
श्रीदत्तात्रेय जी के पत्नी के रूप में अनघा लक्ष्मी नाम के एक देवी की पूजा करने का प्रचलन महाराष्ट्र राज्य में हैं ।
महाराष्ट्र राज्य में आज भी बहुत लोग अनघालक्ष्मी नामका व्रत करते हैं।
इनकी वास्तविक कथा बहुत लोगो को पता नहीं हैं ।
एक बार दत्तात्रेय जी पाच साल के उम्र में ही एक तालाब के अंदर चले गए । उनके आसपास जो उनके अनुयायी थे वो उनकी राह देखते देखते उसी तालाब के किनारे रुक गए ।
ऐसे में काफी साल गुजर गए और जब समाधि रूप त्याग करके दत्तात्रेय जी को तलाब से बहार आना था । तब उन्होंने देखा कि उनके अनुयायी अभीतक वैसे ही किनारे पर हैं ।
अनुयाइयों का वही भाव अभीतक हैं अथवा नहीं , इसका परीक्षण करने के लिए उन्होंने अपनी यौगिक शक्ति को प्रगट करके भेजा । जब वो तालाब से बाहर आई तो शराब के धुन में नाचने लगी । कुछ लोगो ने उसे मधुमती कहा , कुछ ने तो नदी का नाम दिया । क्योंकि वो शराब के धुंद में नाच रही थी । कुछ ने तो उसे दत्तात्रेय जी की स्त्री रचना कही ।
जब कि दत्तात्रेय जी तलाब से बहार आए , तब उनोने उस स्त्री का नाम ” अनघा ” रखा । अनघा का अर्थ पापरहीत हैं ।
वह बहुत अनुयायियों ने उस स्त्री का मूल स्वरूप न समझके पाप रूपी नामो से बोला था , वह दत्तात्रेय जी ने सुना । तथा जिन लोगों ने उसे पापरहीत समझा , वह लोग सुख समृद्धि को प्राप्त हो गए ।
अनघा का अर्थ ही पापरहीत हैं । वह सभी पाप और दुःख को भगा सकती हैं ।
अगर दत्तात्रेय जी अनघा देव हैं , तो उनकी यौगिक शक्ति दत्तात्रेयी अनघा देवी हैं ।