श्री आसुरी दुर्गा देवी / श्री अथर्वण दुर्गा 

श्री आसुरी दुर्गा देवी / श्री अथर्वण दुर्गा 

श्री आसुरी ( कतुका ) दुर्गा देवी / श्री अथर्वण दुर्गा 

ह्रीं

श्रीविद्या पीठम में आपका स्वागत हैं । 

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श्री आसुरी ( कतुका ) दुर्गा देवी / श्री अथर्वण दुर्गा

जो लोग दसमहाविद्या अथवा उनसे संबधित उपमहाविद्या , श्रीविद्या उनकी साधना करते हैं , उन्हें आगमिक दुर्गाओं के मंडल के विषय पर जानकारी चाहिए । अगर इनकी जानकारी नहीं मालूम , तो ऐसे साधना करके भी कुछ ज्ञान प्राप्ति नहीं । हर महाविद्या का खुदका दुर्गा मंडल होता हैं । ये सबकुछ आगमिक शास्त्र हैं , आगम शास्त्र एक नियम एक क्रम से चलते हैं , जिनके लिए रूबरू प्रत्यक्ष गुरु की आवश्यकता होती हैं । 

     “शैलपुत्री ब्रह्मचारिणी चन्द्रघण्टा कूष्माण्डा स्कंदमाता कात्यायनी कालरात्रि महागौरी ” ….. ये सभी निगम दुर्गाए हैं और आगमिक दुर्गाओं को आप पढ़ रहे हैं ।

दुर्गाओं का मंडल , युद्ध का सबसे  बड़ा प्रशिक्षित मंडल कहा जाता हैं । युद्ध में शक्तियों को तेज गति देने के लिए उस प्रकार की दुर्गा भी चाहिए । 

कुछ लोग स्तंभन , मोहन ,  ज्रुंभन  , मारण आदि के लिए मंत्र के रट्टा लगाते हैं । परंतु , इनमे ज्यादातर वनस्पति शास्त्र , स्मशान की शक्तियों का शास्त्र , रासायनिक कीमिया शास्त्र , गन्धक पारद आदि बहुत विषय  इन साधना से जुड़े हुए रहते हैं । मंत्र को इन तत्वो से मिलाना होता हैं ।  इसलिए ही तो तंत्र  को विज्ञान कहा गया हैं । 

इसी आगमिक दुर्गाओं में से एक श्री आसुरी अथर्वण दुर्गा हैं। 

ये भी बहुत तेज शक्तियों के साथ प्रगट हुई दुर्गा देवी हैं । इन्हें कुछ जगहों पर विचेस के दुनिया की देवी भी बोला जाता हैं । 

आसुरी दुर्गा को मायावी शक्ति भी कहा हैं । हिमालय में इनके नाम से एक तांत्रिक वनस्पति मिलती हैं , जिसका नाम कटुका हैं । यह वनस्पति मायावी तंत्र में उपयोग किया जाता हैं । कटुका वनस्पति के नाम से ही इस देवी कटुका दुर्गा तक कहा जाता हैं । 

मायावी शक्तियों बहुत ही तीव्र होती हैं । मायावी युद्ध में आपको किसी शस्त्र से वार करने की जरूरत नहीं होती । मायावी युद्ध , आसपास की वायु तत्व में मायावी प्रति विश्व बनाया जाता हैं , जिसे ट्रैपिंग भी कह सकते हैं । 

जैसे सर्कस में एक आयनों गोल होता हैं , जिसमें एक व्यक्ति को खुदके दस बीस रूप दिखते हैं और उसे बहार जाने का रास्ता नहीं समझ आता । एक प्रति दुनिया जैसा हैं ये । आसुरी दुर्गा इन सभी शक्तियों की स्वामिनी हैं । 

ऐसा कहा जाता हैं कि , यूरोप रशिया अमरीका मंगोलिया साउथ अफ्रीका में एक गुप्त रूप तांत्रिक समाज हैं । जिनमें रसायनिक पदार्थ , जड़ीबूटी इन से जादू करते हैं । जो आजकल हम विचेस की सीरीज में वीडियो देख सकते हैं । साउथ अफ्रीका में वूडू नामक तेज जादू चलता हैं । एक्चुली , इन सबकी देवी , आसुरी दुर्गा ही हैं । 

आसुरी दुर्गा की साधना एक चलता फिरता प्रयोगशाला ही समझे । 

इस देवी को आसुरी दुर्गा इसलिए कहा जाता हैं कि इसका दंड बहुत कठोर होता हैं , वो कुछ दया माया नहीं दिखाती । आसुरी दुर्गा अथर्व वेद की पुत्री हैं , इसलिए उसे अथर्वण देवी भी कहा गया हैं । इस देवी का शत्रु विनाश के लिए कुछ प्रयोग अथर्ववेद में भी उपलब्ध हैं , जो देवी प्रत्यंगिरा और कृत्या संबधी हैं । कृत्या विषय को आसुरी दुर्गा से क्यो जोड़ा गया हैं , ये लिखने जाए तो लेख बहुत बड़ा हो जाएगा । इस विषय पर हमारे ब्लॉग में पहले लिखा गया हैं । 

आसुरी दुर्गा देवी के शरीर पर यज्ञोपवीत धारण किया हुआ हैं , वो अप्रत्यक्ष रूप से कुंडलिनी का प्रतीक हैं । एक हात में कटुका वनस्पति हैं । यह वनस्पति शत्रु विनाश के लिए हवन में भी उपयोग की जाती हैं । 

भक्तो की रक्षा करना , शत्रुओं को बहुत जल्द शासन करना , काले जादू का प्रभाव जल्द खत्म करने के लिए आसुरी दुर्गा बहुत सुंदर साधना हैं । 

गुरु कृपा ही केवलं , इसलिए प्रत्यक्ष गुरु करो । 

धन्यवाद । 

Sri Annapoorna Devi

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One thought on “श्री आसुरी दुर्गा देवी / श्री अथर्वण दुर्गा 

  1. Good information…but apko bata du durga kisi maha vidya ke andar nehi ati durga swam ak alag mahavidya hai…sadharan log das mahavidya ke bare mehi jante hai but kuchilog astadasa mahavidya ke bare me jante hai..yatha-
    ” Kali Tara chinnamasta bhuvana Mahishmardini ।
    Triputa twarta durga vidya pratyangira tatha ।।
    Kali kula samakhatang sri kulan cha tat parang ।
    Sundari bharavi bala bagala kamalapi cha ।।
    Dhumavati cha matangi vidya sapnabati priye ।
    Madhumati mahavidya sri kulancha parivasitam ।। ”
    Kali kul ki 9 devi aur srikul ki 9 devi a do milkar 18 esahi astadasa mahavidya kahate hai…ase kuch tantra me 27 mahavidya ke barnan vi milte hai…aur upmaha vidya thodi si alag chis hoti hai jase devi shodashi ke antar gat dandi natha ( Rakta Varahi ) sampatkari etc aur jase devi durga ke ugrachanda prachanda chandogra chandanayika etc ati hai…

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