श्रीकृष्ण गोपालसुन्दरी विद्या

श्रीकृष्ण गोपालसुन्दरी विद्या

◆ श्रीविद्या राजगोपाला ( मदनसुंदरी ) ◆

ह्रीं
नमस्ते मित्रों , श्रीविद्या पीठम ठाणे में आप सभीका स्वागत हैं ।

आज एक सुंदर विषय लेकर आपके सामने आ रहा हूँ । कभी आपने श्रीकृष्ण की मूल स्वरूप देखा है ?

श्रीविद्या साधना तो बहुत लोग करते हैं , परन्तु आधी अधूरी जानकारी के साथ लोग श्रीविद्या की साधना करते हैं , गुरु से रूबरू होने की कमी ज्ञान का अभाव और साधना की सफलता से दूरी पैदा करती हैं ।
ऐसे बहुत से साधक मैने देखे हैं जो बाद में तनावग्रस्त हो जाते हैं , क्योंकि साधना में असफलता आ जाती हैं ।

हम श्रीविद्या पीठम , में विस्तृत जानकारी हर विषय पर देने की कोशिश करते हैं ।
श्रीविद्या की विस्तृत जानकारी हासिल करनी ही चाहिए ।

श्रीविद्या में पंचदशी मंत्र की दीक्षा से पूर्व अन्य अंग साधनाए करनी आवश्यक हैं ।

कल्पना कीजिए आप एक सैनिक है और बॉर्डर पर युद्ध के लिए जाना है । क्या बिना प्रशिक्षण अथवा बिना शस्त्र ज्ञान अथवा बिना शत्रु ज्ञान अथवा अपने आपको मजबूत किए बिना क्या आप युद्ध जीत सकेंगे ?

श्रीविद्या अंतर्भूत अन्य साधना

श्रीविद्या साधना ऐसी ही हैं ।
इसमें अन्य साधनाओ को करके पहले परिपक्व बनना आवश्यक हैं , आंतरिक और बाह्य स्वरूप से ।
इसीके लिए श्रीविद्या साधना में कई सारी पवित्र साधनाए हैं , जैसे गोपालसुन्दरी रामासुन्दरी सितात्रिपुरा गंडभेरुण्डा सुब्रमण्यमवल्ली , इनके साथ श्रीयंत्र में जो 43 त्रिकोण होते हैं , उस एक एक त्रिकोण की भी अलग अलग विद्याए हैं , जैसे की हेमंत ऋतू आवरण पूजा , शिशिर ऋतु आवरण पूजा , वर्षा ऋतु आवरण पूजा ….. इसके साथ 15 नित्याओ की अलग अलग पूजन विधान हैं , जिसे कोई पुण्यवान साधक ही कर सके ।
आजकल ये सभी साधनाए और पूजा विधान अत्यंत कम लोगो के पास है । पहले के जमाने में इन साधनाओ को करके शरीर पवित्र किया जाता था ।

श्रीकृष्ण ने भी श्रीविद्या की साधना नारायण ऋषि से ली थी । श्रीकृष्ण ने बहुत कुछ वाम मार्ग से पाया , अन्यथा इतनी माया जगत निर्माण कर चाले चलना इतना भी आसान नहीं होता ।

श्रीविद्या गोपालसुन्दरी विद्या

श्रीकृष्ण एक ललिता त्रिपुरसुंदरी के अंश है , रिफलेक्शन । उसी गुप्त रूप को गोपालसुन्दरी अथवा मदनगोपालसुंदरी अथवा राजगोपाला भी कहते हैं ।

यह चैतन्य दायी श्रीकृष्ण का त्रिपुरसुंदरी रूप में एक स्वरूप हैं ।

श्रीविद्या साधना में 6 आम्नाय है अर्थात 6 मार्ग जिसमें एक मार्ग में इस गोपालसुन्दरी देवी की पूजा साधना करने का विधान है ।

गोपालसुन्दरी की पूजा साधक को चैतन्य तथा आकर्षण पैदा करती हैं । संतान तथा पारिवारिक जीवन तथा रिलेशनशिप में प्रेम लाना यह निर्माण करती हैं ।

गोपालसुन्दरी विद्या के फायदे

यह एक स्पेशल साधना है जो अनाहत चक्र को सुधार देती हैं । मेडिटेशन , हीलिंग , चक्रों की अलाइनमेंट , ओरा में व्हायोलेट रंग की आभा लाना यह उसका कार्य है । इस साधना को गलत उतावले अयोग्य साधको से दूर रखा गया है । बल्कि ये साधना जल्द अनुभव देती हैं ।

गोपालसुन्दरी यह राधा कृष्ण प्रेम का प्रतिबिंब हैं । बहुत लोग श्रीकृष्ण जी को पूजते हैं , जाप करते हैं परन्तु श्रीकृष्ण की वास्तविक शक्ति से परिचित नहीं हो पाते । यह साधना से हमारे शरीर में ही जल्द कृष्ण तेज का प्रभाव आना शुरू होता हैं ।

प्रस्तुत फ़ोटो में गोपालसुन्दरी के हाथों के शस्त्र देखिये और श्रीललिता देवी के शस्त्र देखिये ।
ललिता का तेज श्रीकृष्ण के रूप में नारंगी नीला रंग के द्वारा रिफ्लेक्टस होता हैं , जो आकर्षण शक्ति है कुण्डलिनी की ……… !

इन सभी पवित्र साधना के संदर्भ में जानकारी के लिए , हमारे ब्लॉग पर अपना ईमेल आईडी रजिस्टर करें , जिससे कि यह साधना आने पर जानकारी आपको मिलेंगी । हमारे श्रीविद्या पीठम में यह सब विषय सही साधको को देने की कोशिश की जाती हैं ।

धन्यवाद ।

Course Link : https://srividyapitham.com/sri-vidya-essentials/
Blog Link : https://srividyapitham.com

Share

Written by:

213 Posts

View All Posts
Follow Me :

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
× How can I help you?