● श्रीविद्या Supremo श्रीकुब्जिका देवी ●
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नमस्ते , आप सभी का हमारे श्रीविद्या संजीवन साधना सेवा पीठम , ठाणे में स्वागत है ।
हमारे एक साधक ने श्री कुब्जिका देवी के विषय पर पूछा था ।
हमारे पीठम में साधक की आवश्यकता देखकर जो ज्ञान साधना आवश्यक है , उसके लिए मदत जरूर की जाती है ।
क्योंकि , तंत्र साधना श्रीविद्या साधना ये सभी एक नियम से चलने वाली साधनाए है , जहा किसी न किसी मोटिवेशनल गुरु , मार्गदर्शक जरूरी है ।
अन्यथा लोग आकर्षित होकर मंत्रो का जाप तो करते हैं पर आगे जाकर फस जाते है ।
महाशक्ति भ्रम में डाल देती है ।
तब कोई बचाने वाला अथवा मार्गदर्शन करने वाला नहीं होता ।
साधना और उपासना का ये भेद पहले जान ले ।
अब मित्रों कुब्जिका देवी क्या है ?
श्रीविद्या अगर आपने सीखी हुई है तो वो गुरु कुब्जिका देवी का ज्ञान जरूर देंगा ।
ये अत्यावश्यक है ।
वैसे हम जब सिद्धकुंजिका स्तोत्र का मूल पाठ की दीक्षा देते है और तर्पण करवाते है , तब भी कुब्जिका देवी का संबध आता है ।
श्रीविद्या में 6 आम्नाय है , उसमे से एक आम्नाय पश्चिम आम्नाय है अर्थात श्रीयंत्र का पूजन उसमे पश्चिम दिशा से होता है ।
आम्नाय का ज्ञान होना यही श्रीविद्या साधक की पहली पहचान है , अन्यथा बिना आम्नाय पंचदशी दीक्षा लेना अथवा जाप करना कोई मतलब नहीं ।
श्रीयंत्र का पश्चिम दिशा से भेदन होने पर अर्थात श्रीयंत्र के 6 दरवाजे है , उसका पश्चिम दरवाजा जो है उसकी देवतां ये ” श्रीकुब्जिका देवी “ है ।
कुब्जा देवी को किस नाम से पहचाना जाता हैं ?
दिखने के लिए ये अघोर है , इसे वक्रीनी / वक्रेश्वरी / वक्रा भी कहते हैं ।
वक्री अर्थात किसी चीज को मोड़ देना ।
सिद्धकुंजिका स्तोत्र की देवी चामुंडा का आंतरिक शक्ति रूप कुब्जिका है । क्योंकि , कुंजी अर्थात चाबी और चाबी को ताले में घुमाया जाता है ।
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इस घुमाने की क्रिया है उसे वक्र कहा है ।
जो सीधे हात से न निकले उसे टेढ़ा अर्थात वक्र करदो ।
अगर सिद्धकुंजिका की कुंजी खोलनी है तो कुब्जा की शक्ति चाहिए । कुब्जा उसमें असीम शक्तियाँ भरती है ।
फिलहाल ये सब गुरु परंपरा सही हो तो समझ आता है ।
कुब्जिका देवी अंग रहस्य
कुब्जिका को छह मुख है और उसके पीठ को कूबड़ होता है ।
कूबड़ अर्थात पीठ रीड की हड्डी उसको धनुष जैसा टेढ़ा होना ।
इसे वक्र कहा है ।
कुब्जा की पीठ वक्र होने से वो एक वजन से निचे झुकी हुई रहती है ।
पीठ की रीढ़ की हड्डी वक्र होने का और कुंडलिनी एक गहरा संबध है ।
कुब्जिका देवी को खंजिनी भी कहते हैं ।
कुब्जिका देवी का कार्य ब्रम्हांड में क्या है ?
Super Consciousnesses परा
Middling Consciousness परापरा
Inferior Consciousness अपरा
इन पर कमांड करती हैं ।
इसके छह मुख जो है छह चक्रों से रिलेटेड है और छह चक्र छह बॉडीज से रिलेटेड है ।
ये गहरा अभ्यास है ।
कुब्जा देवी की शक्ति बहुत बड़ी है , Supremo कह सकते हैं ।
जो लोग पश्चिम मार्ग से श्रीविद्या करते हैं , उनको यह पता ही होगा ।
ये व्यक्ति को Conscious में लाने का कार्य करती है ।
मित्रो बहुतों को लगेंगा की मेडिटेशन में विचारशून्य अवस्था को आप Consciousness समझेंगे ।
बल्कि ऐसा समझना एक छोटे बच्चे को लॉलीपॉप देकर चुप करने जैसा और उसको अपने माहौल में ही खुश रहने दे , ऐसी बात हुई ।
Consciousness तभी आ सकता है , जब व्यक्ति की मृत्यु होगी ।
ध्यान की क्रिया से सिर्फ मन अतिरिक्त विचार करना बंद करता है । क्योंकि साँसो की टेक्निक से शरीर रिलीज होता है ।
इसका अर्थ यह नहीं की व्यक्ति का मन मर गया ।
अगर आप कुछ दिन ध्यान करना छोड़ दे , देखिए फिरसे मन एक्टिव हो जाएगा , फिर ऐसी एनेस्थेसिया आली अथवा कुछ समय तक शरीर – मन को संमोहित करने वाली प्रक्रिया कुछ काम की नहीं ।
लोग ध्यान में ऊपर उठो ऊपर उठो करते है , पर ऊपर कहा उठेंगे ?
पहले शरीर का परीक्षण आप करने लगेंगे तो यह समझ आएंगा की पुरूष शरीर का लेफ्ट अंग छोटा है और राइट अंग बड़ा …. ऐसा क्यों ?
स्त्री के मूलाधार का भाग सिला हुआ नहीं रहता और पुरुष के मूलाधार का भाग सिला हुआ रहता है … ऐसा क्यों ?
मित्रों , Universal Supreme Knowledge लेने और समझने के लिए कुब्जिका श्रीविद्या में मदत करती है ।
सही गुरु चाहिए जो आपको भूलभुलैया में न डालकर सही मार्गदर्शन दे ।
बहुत सारी जानकारी आप हमारे ब्लॉग पर पढ़ सकते हैं । अन्य लोगो तक भी पहुचाए , जिससे कि आपके द्वारा सत्य ज्ञान उन्हें भी मिले ।
कुब्जा के विषय में और भी जानकारी देंगे ।
की कैसे उसका संबध सिद्धकुंजिका से है ।
जुड़े रहिए ….
Link : https://youtu.be/WDpGgPKDTxw
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