सिद्धाकुंजिका स्तोत्र Explanation : पत्नीं वां वीं वूं वागधीश्वरी
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आपमे से बहुत लोग सिद्धाकुंजिका स्तोत्र पढ़ते हैं । परंतु हमेशा अधूरी जानकारी को लेकर पढ़ते हैं । हर शब्द का अपना एक अर्थ होता हैं ।
मूल सिद्धाकुंजिका स्तोत्र एक हजार से ग्यारासौ श्लोकों का हैं । परंतु आजकल उसमें से 6 – 7 श्लोक ही पढ़ने को मिलते हैं । वो भी शब्द बदले हुए दिखाई देंगे ।
आज हम सिद्धाकुंजिका स्तोत्र के एक श्लोक का अर्थ समझेंगे ।
पत्नीं वां वीं वूं वागधीश्वरी
पत्नीं शब्द का अर्थ क्या हैं ? वां वीं वूं बीजाक्षरों का अर्थ क्या हैं ?
वागधीश्वरी देवी कौन हैं ?
इस बारे में आपने कभी सोचा हैं क्या ?
पत्नीं अर्थात प – पालनहार कामेश्वर , त्नीं – कामेश्वर की पत्नी कामेश्वरी देवी । पत्नीं – इसे वनस्पति तत्व भी कहा जाता हैं ।
पत्नीं – कामेश्वर कामेश्वरी दोनों से निर्माण हुए तीन तत्व यही बाद में वां वीं वूं यह तीन बीजाक्षरों के रूप में आ गए ।
जिन्हें हम पार्वती लक्ष्मी सरस्वती कह सकते हैं ।
ये पंचतत्व एक होकर वागधीश्वरी देवी बन जाती हैं ।
वागधीश्वरी देवी के अंडर एक पूरा वन आता हैं , जो ललिता त्रिपुरसुंदरी के श्रीयंत्र महल के वनों से भी बड़ा हैं । वन की शक्ति होने के कारण इस देवी के पास वनस्पतियों के तत्व ऊर्जा अधिक आती हैं ।
वागधीश्वरी देवी के पास एक तोता हैं । उसका रंग नीला हैं । जैसे दिए कि ज्योति में नीला रंग होता हैं , उसी टाईप का रंग पंखों का हैं ।
यह देवी एक जगह पर स्थिर नहीं रहती हैं । वो फैली हुई रहती हैं , जैसे वन होता हैं ।
वागधीश्वरी देवी के पास राजराजेश्वरी ललिता के सिंदूर की शक्ति भी आती हैं । ब्रम्हा का ब्रम्हास्त्र भी आता हैं । यह बगलामुखी का ब्रम्हास्त्र नहीं हैं ।
इस तरह इस श्लोक के हर एक शब्द में अलग अलग तत्व जुड़े हुए हैं ।
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