चेटिका शक्ति क्या हैं ?
ॐ
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चेटिका क्या हैं ? चेटिका किसे कहा जाता हैं ? चेटिका बनती कैसे हैं ? चेटिका का साधना में क्या महत्व हैं ?
ऐसे बहुत सारे विषयों से संबधी जानकारी साधकों को होनी चाहिए ।
दसमहाविद्या साधना अथवा उनके समकक्ष उपविद्या शक्ति यों की साधना आप करते हैं तब चेटिका तत्व का ज्ञान होना बहुत जरूरी हैं ।
क्योंकि , चेटिका के बिना कोई भी देवी कही बहार जा नहीं सकती , अथवा कोई स्वतंत्र रूप से कार्य भी नहीं कर सकती । साधना में भी चेटिका को प्रसन्न किए बिना किसी देवी के पास कोई सीधे जा भी नहीं सकता ।
चेटिका शक्ति किसी भी देवी की 1st Attendance Energy होती हैं । चेटिका उस देवी की ऊर्जा तत्व को संरक्षित करने का कार्य करती हैं । हर देवी , हर महाविद्या शक्ति के अपने अपने अलग अलग चेटिका शक्तियाँ होती हैं और उनके कार्य भी अलग अलग होते हैं ।
ब्रम्हांड में हजारों लेयर्स और लाखों तत्व पड़े हैं ।
एक तत्व दूसरे तत्व पर भारी हैं । ऐसे न जाने कितनी शक्तियाँ भरी पड़ी हैं । एखाद शक्ति , दूसरे शक्ति को खींचने की क्षमता भी रखती हैं । तब इन सबसे संरक्षण कैसे करें ? इसलिए देवियों के पास चेटिका शक्ति होती हैं ।
चेटिका शक्ति के पास उस देवी के आधे के बराबर शक्तियाँ दी जाती हैं ।
निसर्ग में हर एक चीज का अपना एक महत्व , उपयोग और ज्ञान हैं । हर एक पेड़ का अपना महत्व हैं । पेड़ के फूल पत्ता मूल और मूल को लगी मिट्टी की भी अपनी अलग अलग विद्या होती हैं । यहाँ कोई चीज फेकने लायक नहीं बनी । बस आजकल अभ्यास और दृष्टिकोण की कमी हो रही हैं ।
चेटिका बनती कैसे हैं ?
अब किसी भी महाविद्या देवी को संरक्षित करने के लिए चेटिका में कितनी बड़े लेवल की ऊर्जा चाहिए , इसकी बस आप कल्पना कर लीजिए । तो चेटिका बनती कैसे हैं ? यहाँ से ज्ञान शुरू होता हैं । आप अगर किसी देवी के मंत्र का जाप कर रहे हैं , तो इसका ज्ञान होना जरूरी हैं ।
मनुष्य जाति में स्त्री पुरूष समागम होता हैं , वैसे निसर्ग के अवरुद्ध स्त्री स्त्री समागम और पुरुष पुरुष समागम भी होते हैं । दो पुरुषों के सेक्स को गे कहा जाता हैं और दो स्त्रियों के सेक्स को लेसबियन कहा जाता हैं ।
कामवेग की भावना , हॄदय की तीव्रता , वासना ई. बहुत तीव्र होते हैं । इसका अपना एक स्थान हैं ।
दो स्त्रियाँ जो लेसबियन टाईप की होती हैं । उनके दो आत्माएँ एक आत्मा में जुड़ जाती हैं , तब एक चेटिका बन जाती हैं ।
परन्तु यह क्रिया एकदम से नहीं बनती । दो जन्मों तक उस स्त्री में वैसी ही भावना रही तभी जाकर वो तीसरे जन्म में चेटिका की प्रोसेस बनती हैं ।
ऐसे स्त्री तत्व बाद में तीसरे जन्म के बाद ललिता त्रिपुरसुंदरी के पास चली जाती हैं और वहाँ उन्हें चेटिका की प्रक्रिया में ढाला जाता हैं ।
यह एक काफी लंबा और पेचीदा विषय हैं ।
ललिता त्रिपुरसुंदरी , काली , बगलामुखी विद्या में जो नैवेद्य रखा जाता हैं , वह नैवेद्य भी चेटिका प्रथम ग्रहण करती हैं । जबतक चेटिका के भूख का शमन नहीं होता , तबतक देवी उस नैवेद्य को ग्रहण नहीं कर सकती ।
कुछ देवियाँ अपनी चेटिका शक्ति द्वारा कुछ साल बाद खुदके एनर्जी की बंदिश तक लगवाकर लेती हैं । जैसे कि श्रीविद्या साधना में ललिता के पति कामेश्वर शिव को अपने तत्वों की सेफ्टी के लिए हर तीन वर्ष बाद चेटिका द्वारा बंदिश की विद्या लगवाकर लेनी पड़ती हैं ।
किसी भी देवी अथवा महाविद्या की साधना करना इतनी भी आसान बात नहीं हैं । सिर्फ मंत्र के जाप गुरुदीक्षा नहीं बनती हैं । अंदर तक के ज्ञान की पहचान भी चाहिए ।
धन्यवाद ।
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