श्रीयंत्र राजमहल की ” हरी चंदन वाटिका “

श्रीयंत्र राजमहल की ” हरी चंदन वाटिका “

🌳 श्रीयंत्र राजमहल की ” हरी चंदन वाटिका “ 🌳


नमस्ते ,
श्रीविद्या पीठम में आपका स्वागत है ।

🪷 श्रीयंत्र की नवावर्ण पद्धति के अनुसार शास्त्रोक्त पूजन होता हैं , उसमें श्रीयंत्र के ४३ त्रिकोणों का अष्टगंध द्वारा एक एक करके स्थापना की जाती हैं ।

श्रीयंत्र यह श्रीललिता महात्रिपुरसुंदरी का राजमहल हैं , उनका निवास हैं । आप एक बंगले की कल्पना कीजिए , वह कैसा होगा ?
एक आलिशान बंगला जहाँ बगीचा – स्विमिंग पूल – तालाब – ढेर सारे कमरे और ना जाने कितना कुछ !

जब श्रीयंत्र का पूजन होता हैं , उसमें भी देवी के राजमहल में अनेकों वापिकाए हैं , कुछ तालाब हैं , अलग अलग वृक्षों के बगीचे हैं , नवरत्नों में से एक एक रत्न की खान हैं । जैसे अगर कदंब वृक्ष का बगीचा है तो उस जगह कदंब को छोड़कर और कोई अन्य वृक्ष नहीं होगा । कदंब के अलग अलग प्रकार के वृक्षों का बगीचा होंगा ।

उसीमे से एक हैं ” हरी चंदन वाटिका ” ।

क्या आपने श्रीविद्या दीक्षा संस्कार लेते समय इसका ज्ञान लिया था ?
क्योंकि इस ज्ञान के बिना श्रीविद्या अधूरी हैं ।

🪻 ” हरी चंदन वाटिका ” क्या हैं ? उसका श्रीयंत्र में क्या महत्व हैं ?
( यह लेख सिर्फ श्रीविद्या पीठ द्वारा प्रस्तुत किया जा रहा हैं । अन्य जगह यह ज्ञान उपलब्ध नहीं हैं । )

पहले आप श्रीयंत्र की आकृति में ” हरी चंदन वाटिका “  का स्थान कहा हैं , वह देखिए । प्रत्यक्ष आकृति देखे बिना आगे का ज्ञान समझ नहीं आएंगा ।

Hari Chandan Watika

🌳 ” हरी चंदन वाटिका ” 🌳
वाटिका अर्थात बगीचा ।
हरी चंदन अर्थात हरी ने लगाया हुआ चंदन वृक्ष का बगीचा ।
यह विस्तार सिर्फ इतना ही नहीं हैं ।
हरी अर्थात भगवान विष्णु नहीं हैं । यह पदवी जाती हैं , तिरुपति बालाजी को ।
जिस चंदन की बात यह हो रही हैं , वह चंदन का एक प्रकार तिरुपति बालाजी के जंगलों में पाया जाता हैं ।
इसलिए ही तो तिरुमला की जगह काफी प्रसिद्ध हैं ।

विश्व के सबसे प्रथम हरी ने अपनी माता के लिए लगाया हुआ चंदन वृक्ष का बगीचा , जिसे ” हरी चंदन वाटिका ” कहाँ जाता हैं ।
चंदन में काफी सारे प्रकार हैं । सभी प्रकार पृथ्वी पर उपलब्ध नहीं हैं ।
हरी का अर्थ होता हैं , श्रीललिता की तरफ से सृष्टि को देखने वाला उसका पहला प्रतिनिधि अथवा पुत्र ।
( इतना दुर्गम गुप्त ज्ञान सिर्फ श्रीविद्या पीठ में ही उपलब्ध हैं । )

अब कल्पना कीजिए ,
🪻 इस चंदन की वाटिका को कौनसा जल लगता होंगा ?
🪻 वह चंदन कौनसी वायु हवा में छोड़ती होंगी ?
🪻 उस चंदन के कितने प्रकार होंगे ?
🪻 उस वाटिका का ध्यान रखने के लिए कौनसे शक्तियां होती हैं ?
इन प्रश्नों के उत्तर अथवा ज्ञान श्रीविद्या साधना में जरूरी हैं । इसलिए योग्य श्रीविद्या दीक्षा संस्कार लेना जरूरी हैं ।

श्रीयंत्र के इस चंदन वाटिका को दही युक्त जल अर्पण किया जाता हैं । यह जल श्रीललिता के स्नान करते समय जो बालों को लगाया जाने वाला एक लेप होता हैं ।
अब , इतनी बड़ी महाविद्या की शक्ति , थोड़ी ही पृथ्वी के ऊपर का जल लेंगी ? और उसके स्नान का पानी भी ऐसे कही फेक दिया जाएँगा ?
कभी इस विषय पर ध्यान दिया हैं आपने ?
एक देवी अपने नित्य क्रम कैसे करती हैं ? क्या श्रीयंत्र में ड्रेनेज सिस्टम होती हैं ?

श्रीललिता के बालों को दही में फलों का रस और कुछ औषधि डालकर एक रस बनाया जाता हैं । उसीसे बाल धोएं जाते हैं । इसका जो पानी होता हैं , वही चंदन की पेड़ को डाला जाता हैं ।
बड़ी शक्तियां कभी ऑक्सीजन ई. लेती नहीं । पेड़ हमेशा ऑक्सीजन पैदा करते हैं ।
तो श्रीयंत्र के अंदर के बगीचे के वृक्ष क्या छोड़ते होंगे ?
तो इस चंदन वाटिका से सुगंध आती हैं ।
जब इनकी सुगंध कम हो जाती हैं , तब वह जल चंदन को अर्पण किया जाता हैं ।

🌳 हरी चंदन वाटिका की भूमि के नीचे श्रीयंत्र की काफी पुरानी चीजें रखी हुई हैं ।
श्रीयंत्र राजमहल एक प्राचीन शिल्प हैं , जहा देवियां ना जाने कितने समय से निवास करती हैं ।
जब श्रीयंत्र राजमहल देवी ललिता ने निर्माण किया था , उस समय के देवियों के गहने जो बाद में पुराने हुए । उनको भी यही भूमि के नीचे रखा हुआ हैं ।
तथा उस समय के प्राचीन पत्थर , जो समय के साथ भूमि के नीचे जाते हैं और ऊपर धीरे धीरे मिट्टी आ जाती हैं । ऐसे काफी पत्थर इस हरी चंदन वाटिका के नीचे हैं । इन पत्थरों में अद्भुत शक्तियां हैं । जिनका उपयोग आगे किसी कारण वश हो सकता हैं ।
यह सभी गुप्त ज्ञान हैं । यह ज्ञान आभितक कही भी उपलब्ध नहीं हैं ।

🌳 जैसे हमने कहा , हरी चंदन अर्थात हरी ने बनाया हुआ चंदन ।
हरी अगर चंदन का प्रतिनिधत्व करता हैं , तो लक्ष्मी जी गुलाब का प्रतिनिधत्व करती हैं । जब श्री ललिता देवी अपनी एक लक्ष्मी तत्व , हरी के देती हैं । तब चंदन और गुलाब से रक्त चंदन बनता हैं । यह इसका अतिगुप्त रहस्य हैं ।
वैसे हरी के काफी अवतार और रूप हैं ।
इसलिए हरी चंदन वाटिका में भी काफी अलग अलग दिव्य चंदन वृक्ष हैं ।
उसमें से और एक बताता हूं ।
हरी का एक रूप धन्वंतरी हैं । जब श्री ललिता एक लक्ष्मी तत्व इन धन्वंतरी को देती हैं । तब ” धन्वंतरी + लक्ष्मी ” संयोग से ” हरा चंदन ” बनता हैं । जो आयुर्वेदिक हैं ।
धन्वंतरी को धने का नैवेद्य रखते हैं और लक्ष्मी को गुड़ का । गुड़ बनता हैं , ईख के रस का । ईख श्रीललिता देवी का प्रिय हैं । इसलिए धना गुड़ महत्वपूर्ण हैं ।

यह एक बहुत विस्तृत अभ्यास हैं ।
अधिक जानकारी हेतु आप हमारे श्रीविद्या संबधित कोर्स देख सकते हैं ।
श्रीविद्या पीठ द्वारा प्रस्तुत ज्ञान अन्य कही उपलब्ध नहीं हैं ।

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SriVidya Pitham
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