श्रीमहामृत्युंजय साधना ( तर्पन और अभिषेक सहित )
नमस्ते मित्रों ,
डेढ़ साल के प्रयास के बाद श्रीमहामृत्युंजय शिव जी की साधना पद्धती आपके समक्ष रख रहे हैं ।
श्रीमहामृत्युंजय साधना और श्रीमृतसंजीवनी साधना दोनों भी अलग अलग विषय हैं , तथा उनके कार्य भी अलग हैं ।
बिना श्रीमहामृत्युंजय साधना , मृतसंजीवनी साधना नहीं हो सकती । मृत्यु के ऊपर संपूर्ण विजय । मृत्यु अर्थात सिर्फ शरीर की नहीं , अपितु जन्म मृत्यु का संक्रमण हैं ।
हम जो साधनाक्रम आपके सामने रख रहे हैं , उसमें विविध ओषधी सहित आयुर्वेदिक भस्म सहित तर्पन विधी , शिवलिंग अभिषेक , यंत्र आवरण पूजा , हवन विषयक जानकारी , नारियल बलिदान , मृत्युंजय मंडलपूजा विधी विषय सिखाए हैं।
भारत में यह एकमात्र साधना पद्धती हैं , जो पूर्ण विधान सहित सिखाई जा रही हैं ।
इसके साथ पुस्तिका , यंत्र उपलब्ध किया जाएगा । साथ में रेकॉर्डेड विडीयो के लिंक्स उपलब्ध किए जाएंगे ।
सामान्यतः लोगो को महामृत्युंजय साधना मतलब बस मंत्रो के जाप करने की पद्धती ही लगती हैं ।
कच्चे फल को आप खाने जाएंगे तो उसका अनुभव विपरीत मिलेंगा , इसलिए फल को पकाने तक इंतजार करना चाहिए ।
उसी तरह कोई भी साधना विशिष्ट क्रम से चलती हैं ।
श्रीमहामृत्युंजय साधना दोष निवारण :
१) यह साधना मनुष्य शरीर के अंदर जो भी पूर्वजन्म अथवा अन्य का भय , डर , फोबिया , किसी एक चिज से हमेशा डर लगना
आदि विषयों को जड़ से निकाल देती हैं । बहुत बार भय का कारण पूर्वजन्म से संबंधी होते हैं।
२) साधक के आसपास अनेको प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा हो , जैसे काला जादू , नजरदोष , टोटके , बाधित भूमि की छाया ई विषयों के लिए एक कवच तयार करते हैं ।
३) आध्यात्मिक उन्नति में कही से भी रुकावट महसूस हो रही हैं तो उसमें भी यह सहायभूत हैं । मृत्यु का भय और मृत्यु का ज्ञान देते हैं ।
४) दैनंदिन जीवन में एक सही निर्णय क्षमता लेने के लिए यह मदत करती हैं ।
५) कुंडलिनी शक्ति के लिए यह एक उपयुक्त साधना हैं । यह तीनों नाड़ियों और तीनों नेत्रों सहित विशेष आज्ञाचक्र 3rd नेत्र ज्योति की ज्ञान के लिए बहुत महत्वपूर्ण साधना हैं ।
६) कुंडली में बैठे शुक्र ग्रह , शुक्र महादशा-अंतर्दशा को सुधार देता हैं । महामृत्युंजय साधना का उगम ही शुक्र ग्रह हैं । अन्य ग्रहों की पीड़ा छाया तथा मारक दशाओं को यह कम करता हैं ।
७) पारिवारिक जीवन में तनाव अथवा वैचारिक मतभेद होने पर उसे ठीक करने के लिए यह उत्तम साधना हैं ।
८) इस मंत्र को मोक्ष मंत्र भी कहा जाता हैं । जन्म और मृत्यु के बीच की अवस्था का ज्ञान देना , जिसके लिए सबका जन्म होता हैं ।
यह साधना किसीको भी अन्य पशुओं के जन्म में जाने से रोकती है और संरक्षित भी करती हैं ।
९) किसी भी बीमारी में कोई निदान नहीं लग रहा हैं तब भी यह साधना कोई न कोई मार्ग दिखाती हैं ।
१०) यह साधना अनेको विषयो पर मार्गदर्शक हैं ।
इस संपूर्ण साधनाक्रम में हमने श्रीमहामृत्युंजय देवता तर्पन , शिवलिंग अभिषेक , यंत्र आवरण पूजा , नारियल बलिदान , तिन प्रकार की मंडलपूजा सिखाई हैं ।
साथ मे एक पुस्तिका और यंत्र भी दिया जाएंगा ।
१) श्रीमहामृत्युंजय तर्पण ( विविध ओषधिय भस्मों और रसों द्वारा )
२) श्रीमहामृत्युंजय शिवलिंग अभिषेक
३) श्रीमहामृत्युंजय यंत्र पूजन
४) नारियल बलिदान ( मृत्युंजय साधना में नारियल बलि )
५) मंडलपूजा ( पंचतत्वों का पूजन , मूलाधार चक्र की आवरण ज्योती पूजा तथा चुने के उपयोग से मंडलपूजा विधान )
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