श्रीमहावराही साधना _ श्रीदंडनाथा

श्रीमहावराही साधना ( श्रीदंडनाथा )

श्रीविद्या अंतर्गत तीसरे स्थान पर ” श्रीमहावराही देवी ” की साधना आती हैं ।

श्रीललिता त्रिपुरसुंदरी_ श्रीयंत्र राजमहाल _ श्रीविद्या जगत की सेनापति के रूप में यह विराजमान हैं । इसलिए इन्हे तीसरे स्थान पर साधना में रखा गया हैं । इन्हे कोलमुखी , दंडनाथा भी कहते हैं ।

श्रीविद्या की प्राचीन परंपरा ~ श्रीहयग्रीव _ अगस्ती मुनि ~ से शुरू होती हैं । श्रीललिता सहस्रनाम में स्पष्ट रूप से श्रीविद्या की क्रमदीक्षा का वर्णन हैं । इसी दीक्षा क्रम को आगे जाकर ~ भगवान दत्तात्रेय और परशुराम ~ जी ने आगे बढ़ाया हैं ।

श्रीललिता त्रिपुरसुंदरी की प्रमुख दो अंग शक्तियां हैं ।

१. प्रधानमंत्री – श्रीराजमातंगी देवी २. सेनापति – श्रीमहावराही देवी 

श्रीविद्या क्रमदीक्षा में इस तीसरे स्थान पर आपका स्वागत हैं । हर क्रम किसी विशेष कार्य के लिए ही सिखाया जाता हैं । श्री महावाराही देवी का स्थान मनुष्य के आज्ञा चक्र पर हैं ।

Importance _ 

 १. मनुष्य शरीर ७ धातुओं से बना हैं । रक्त , मांस , मज्जा , अस्थि , शुक्र आदि धातु के कारण ही शरीर निरोगी रहता हैं । यही सप्तधातु व्यक्ति के पूर्वजों का इतिहास दर्शाते हैं । कोई विशिष्ट बीमारी की उपज , धातु दोष ही हैं । धातु दोष तभी निर्माण होता हैं , जब परिवार में काफी लंबे समय तक किसी पीढ़ी में कुछ बड़ी घटना हुई हो । उसका परिणाम आगे की पीढ़ी पर होता हैं । श्रीवाराही देवी के पास सप्तधातु का अधिकार हैं । 

 २. लंबे समय तक काला जादू , तांत्रिक बाधा चल रही हैं और उसका परिणाम भी लंबे समय तक व्यक्ति पर रहता हैं । ऐसे तीव्र बाधा से मुक्ति यह देती हैं । 

 ३. गंभीर पितृदोष निवारण होता हैं । गंभीर पितृदोष अर्थात कुछ पितृपिडा से कोई पूजा , कोई देवता मुक्ति नहीं करवा सकते । जैसे की घर में आई लूटपाट – चोरी की संपत्ति , अन्न मिलावट दोष , दहेज के दोष , जमीन जायदाद के पुराने दोष ई. 

 ४. जेनेटिकल/ अनुवांशिक स्वरूप के दोष कम करती हैं । श्री वाराही देवी सेनापति होने के कारण उनमें कोई भी समस्या का समाधान करने की क्षमता होती हैं । 

 ५. श्री वाराही देवी के हाथ में मुसल , हल यह अत्यंत महत्वपूर्ण आयुध हैं । मुसल से कितनी भी बड़ी कठिन वस्तु को कूटकर चूर्ण किया जा सकता हैं । अर्थात कितनी भी बड़ी समस्या को तोड़ा जा सकता हैं । हल से कठिन जमीन को भी उखाड़ा जा सकता हैं । जिससे की नई उपज हो । अर्थात समस्या कितनी भी गहराई तक हो , देवी उसको भी हटाने में सक्षम हैं । 

 ६. श्री वाराही देवी के दो मुख्य हाथी जैसे दांत आगे की ओर हैं और उनका मुख शूकर रूप हैं । इनमें सूक्ष्म से सूक्ष्म नकारात्मकता सूंघने की क्षमता होती हैं और दांतो से शत्रु को मार भी सकती हैं । 

यही पुराने दोष जो एक के उपर एक बैठकर जम जाते हैं । इनका कोई दूसरी देवता समाधान नहीं कर सकती । श्रीवाराही देवी इनमें साधक की मदत करती हैं । पुराने दोष , गलतियों का इलाज नहीं होता , तबतक आपका आज्ञा चक्र नहीं खुलता । यह अत्यंत गंभीर विषय हैं । आप पूर्ण शुद्ध हुए बिना परमोच्च शक्ति के सामने खड़े नहीं हो सकते । 

श्रीविद्या के यह तीन क्रमों की साधना , हर स्टेज पर साधक के दोष दूर करके कुछ नया सिखाने का कार्य करती हैं । जितने उच्च स्तरीय साधना , उतना उच्च स्तरीय वैचारिक स्तर चाहिए ।

साधनाओं के प्रति सही ज्ञान ना होने से काफी लोग गलत दीक्षा पद्धति में फस जाते हैं । 

संपूर्ण साधना पिछले साधनाओं की तरह ही व्हिडियो रिकॉर्डिग की तरह ही सिखाई हैं । संपूर्ण विधि युक्त क्रियाएं हैं । 

श्रीमहावराही साधना _ १. तर्पण विधि २.अभिषेक विधि ३. पुस्तिका

           दक्षिणा मूल्य : 3500/- & 75$ ( Out of India )             ( Google Pay and Phone pey ) 

Inquiry about this Sadhna :

SriVidya Pitham

Contact : 09860395985 Whatsapp

Blog : https://srividyapitham.com

Email ID : sripitham@gmail.com

 

Share
error: Content is protected !!
× How can I help you?