Mandal of SriMata ( Sri_Lalita_SahsraNama Word )

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नमस्कार साधकगण ,
श्रीविद्या पीठम में आप सभी का स्वागत हैं ।

यह लेख श्रीविद्या पीठम द्वारा प्रकाशित कर रहे हैं । इसका संशोधन और मंडल सभी श्रीविद्या पीठम ने किया हुआ हैं ।

जब श्रीललिता सहस्रनाम पढा जाता हैं । तब हर एक शब्द का उनका एक अलग अलग मंडल हैं ।
श्रीललिता सहस्रनाम के १००० नामों के १००० मंडल हैं । परंतु , वो सारे पवित्र मंडल और उनकी रचना अत्यंत गुप्त हैं ।

श्रीललिता सहस्रनाम एक देवभाषा में बताया गया स्तोत्र हैं । इसे देवभाषा में ही समझना जरूरी हैं । एक योग्य गुरु , जिसे इसका पूर्ण ज्ञान हैं । वही इस विषय पर व्याख्या प्रस्तुत कर सकता हैं ।

प्राचीन काल से इस स्तोत्र पर संशोधन हो रहा हैं । परंतु कोई इतनी गहराई तक उतरा हुआ नहीं मिलेंगा । हम श्रीविद्या पीठम द्वारा अत्यंत गुप्त रहस्यों को उजागर कर रहे हैं । यह ज्ञान अभीतक कही भी उपलब्ध नहीं हैं ।

” श्रीमाता “

श्रीललिता सहस्रनाम की शुरुआत ही ” श्रीमाता ” इस शब्द द्वारा होती हैं ।
” श्रीमाता ” यह प्रथम नाम श्रीललिता सहस्रनाम में लिखा हुआ हैं ।

आपने कभी सोचा हैं ? इस शब्द का मंडल अथवा यंत्र कैसे होगा ? उसके रंग कैसे होंगे ? और उनमें कितने शक्तियों के नाम होंगे ? किस तरह से यह बना होगा ?
काफी रहस्यपूर्ण विषय हैं ।

” श्रीमाता ” शब्द का अर्थ सिर्फ ऐश्वर्य नहीं हैं । श्री का अर्थ इस विश्व उपलब्ध संपूर्ण ज्ञान और अनेकों विद्याएँ उनको ” श्री ” कहा गया हैं । और वो जिसके पास हैं , वह माता अर्थात श्रीललिता त्रिपुरसुंदरी देवी ।
श्रीललिता सहस्रनाम में प्रथम ज्ञान को महत्व हैं ।
काफी साधक श्रीविद्या की अयोग्य पद्धति की दीक्षा लेकर बैठे हैं और गलत तरीके से मंत्र जाप करते हैं । बाद में इसका दोष भी दिखाई देता हैं ।

हमने ” श्रीमाता ” इस शब्द का मंडल आपके सामने रखा हैं । उसे आप अभ्यासु वृत्ती से देखिए ।
इस मंडल में प्रथम श्री शब्द को समझाया गया हैं । सूर्य और चन्द्र का स्थान श्री में कैसे हैं । उसीमें अन्य भी तत्व हैं , परंतु गुप्तता के कारण हमने उसे नहीं दिया हैं । हमारे पास सीखने वाले लोगों को यह ज्ञान हम देते हैं ।

यह गोल में जो श्री हैं , वह ज्ञान और विद्या हैं । उसका विस्तार होकर पाँच पेटल्स का कमलदल निर्माण होता हैं । आकृति में देखेंगे तो पाँच दलों में पाँच देवियाँ हैं ।
” श्रीमाता ” शक्ति पाँच रूप में विभाजित हो चुकी हैं ।
१) ललिता २) राजराजेश्वरी ३) बाला ४) षोडशी – मातंगी – भैरवी ५) महागणपती
हर देवी के और भी अन्य सोलह -सोलह रूप हैं । मतलब महागणपति के पेटल्स में उसके खुदके सोलह रूप छुपे हुए हैं । राजराजेश्वरी के खुदके सोलह , ललिता के खुदके सोलह रूप उनके उनके दल में छुपे हुए रहते हैं ।
इस आकृति में हमने उसे नहीं दर्शाया हैं । काफी लोग असल ज्ञान को चोरी करने की कोशिश करते हैं । इसलिए इसका ज्ञान हम हमारे यहाँ सीखने वाले साधको को ही देते हैं ।

इस मंडल में षोडशी – मातंगी – भैरवी को एक दल में स्थान दिया हैं ।

इस मंडल का भी निर्माण विधी और इसकी अलग साधना विद्या भी होती हैं ।

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