इस अभ्यास के मध्य में हम मुंडमाला के विषय पर अभ्यास कर रहे हैं । काली और महाकाली , दोनों में बहुत अंतर हैं । ‘ काली ‘ तत्व , माता पार्वती का स्वरूप हैं और ” महाकाली ” तत्व श्रीललिता त्रिपुरसुंदरी की जुड़वा बहन हैं ।
इस लेख में हम काली के गले में जो मुंडमाला दिखाई जाती हैं , उसकी असल वास्तविकता के ऊपर हम यह लेख प्रकाशित कर रहे हैं । यह अगम्य ज्ञान अन्य कही भी उपलब्ध नहीं हैं ।
” काली ” गले में 51 मुंडो की माला पहनती हैं ? यह 51 मुंडो की माला , 51 बीजाक्षर हैं ? अगर यह 51 बीजाक्षर हैं , तो इतने पवित्र मातृकाओं को काली अपने अपवित्र रक्त – मांस – हड्डियों के जगत में रखेगी ? क्या , रक्त लगने से 51 बीजाक्षरो के ऊपर अपवित्रता नहीं बैठेंगी क्या ? तो क्या , ” काली ” सत्य में 51 मुंडो की माला पहनती हैं ?
यह प्रश्नों के उत्तर हमें श्रीविद्या अथवा आप कोई भी महाविद्याएँ अभ्यास करते हैं , काली का अभ्यास करते हैं । तब समझ आना चाहिए । अन्यथा आपका जीवन ही व्यर्थ हैं ।
इसलिए हमारे श्रीविद्या पीठम में आप कोर्सेस द्वारा ज्ञान प्राप्त करें ।
” काली ” के गले में 51 मुंडो की माला होती ही नहीं हैं । उसके गले में 6 मुंडो की माला होती हैं । जो संकल्पना 51 मुंड और 51 बीजाक्षरों की बताई जाती हैं , वह सत्य नहीं हैं । बीजाक्षरों का उपयोग बहुत सारी पवित्र , दिव्य मंत्र तंत्र शास्त्रों में होता हैं । जिनके ऊपर अन्य महाविद्याओं की विद्या , उनकी ऊर्जा मंडल भी नियंत्रित रहती हैं । ” काली ” रहती हैं , स्मशान में – रक्त – हड्डीयों और मांस में । तो ऐसे में बीजाक्षर के तत्व कैसे ऐसे अवस्था में रह सकते हैं । उन बीजाक्षर के ऊपर अगर रक्त गिर पड़ा तो वह मातृकाएँ अशुद्ध बन जाएंगी ।
अब जो , 6 मुंड ” काली ” गले में पहनती हैं । वह एक मुंड अभी के आधुनिक युग के सामान्य मनुष्य का नहीं हैं । वह आदिमानव के विकास की उत्क्रांति की अवस्था जब थी , तब जो वानर जाती से मनुष्य बनने की अवस्था से हम जा रहे थे । उस समय का वह मुंड हैं । इतना पुराना मुंड क्यों ? क्योंकि , उसके द्वारा ” काली ” कितनी पुरातन हैं और कितनी गहराई तक कि शक्ति उठा सकती हैं , उसका प्रदर्शन करती हैं । इन 6 मुंड का आकार बड़ा होता हैं । कल्पना की लाखों वर्ष पूर्व आदिमानव का मुंड कैसा होगा ? इन 6 मुंडो को एक करके ” काली ” की अत्यंत अघोर तांत्रिक विद्या बनती हैं । जिसके द्वारा प्राचीनतम से प्राचीनकाल तक जितनी भी संस्कृतियाँ हुई हैं , जितने भी बदलाव हुए हैं , उनका ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं । यह अत्यंत महत्वपूर्ण अभ्यास हैं । इसमें अन्य भी बहुत गहराई तक ज्ञान हैं ।
तो मित्रों ! आज आपको ” काली ” तत्व के विषय पर अत्यंत अनमोल ज्ञान मिला । ऐसे ही श्रीविद्या पीठम से जुड़े रहे ।
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