Research about Ancient Islamic Painting

Research about Ancient Islamic Painting

Research about Ancient Islamic Painting ( षकृंगा Family )

नमस्ते मित्रों ,
श्रीविद्या पीठम में आप सभी का स्वागत हैं ।

आज हम जिस प्राचीन चित्र का संशोधन अथवा ज्ञान लेने जा रहे हैं , वह देखने से लगता हैं की , हिंदू धर्म से संबधीत हैं ।

परंतु ,
क्या यह चित्र हिंदू धर्म से हैं ? या इस्लामिक शक्तियों से संबधीत हैं ?

आपने हमारे जैन नागमंडल के प्राचीन चित्र का संशोधन पर लेख पढ़ा होगा । पुरातत्व अथवा प्राचीन काल की इन विषयों के अभ्यास के लिए काफी अनुभव , काफी शक्तियों का आशीर्वाद जरूरी हैं ।
सिर्फ श्रीविद्या पीठम ही इन विषय पर अभ्यास करके आपकी रुचि बढाने की कोशिश कर रहा हैं ।
इस ज्ञान के लिए हम सैलानी परिवार और श्रीस्वामी समर्थ महाराज जी का आभार व्यक्त करते हैं ।

ब्रिटिशों ने भारत सहित काफी प्रदेशों को लूटा । हम उसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते । उसीमें से नीचे दिया गया एक पेंटिंग हैं । यह बहुत ही पुराना चित्र हैं ।
उस जमाने में चित्रकार सोचे समझे बिना चित्र नहीं बनाएंगे । ज्यादातर जो आध्यात्मिक देवी देवताओं से संबधीत चित्र होते हैं । आध्यात्मिक चित्र बनाने के लिए उनके पास सही अभ्यास और किसी गुरु का मार्गदर्शन होता था ।
इसलिए इन पुराने चित्रों का अपना अलग ही अंदाज हैं ।


Let see the Image

Points of Image
1. चित्र में एक गुरु – एक देवी – एक तोता – एक कुत्ता – हरे रंग की बड़ी तकिया ( देवी के पीछे ) – एक विशिष्ट पेड़ हैं ।
2. गुरु की अवस्था देखिए । उन्होंने फ्रॉक टाईप का कमर में पहना हुआ हैं , हिंदू संत में फ्रॉक पहना नहीं जाता । उनकी मुछे भी अलग हैं । बैठने की अवस्था , जैसे नमाज के लिए बैठते हैं अथवा इस्लामिक गुरु जैसे बैठते हैं ; उस टाइप का हैं । हिंदू संत अधिकतर ऐसे बैठते नहीं हैं । उनके पीठ का कूबड़ देखिए और उसपर आई हुई लकीरें देखिए । गुरु और उनके खंदे पर बैठा हुआ तोता , विरुद्ध दिशा में देख रहे हैं ।
3. देवी का रूप देखेंगे तो उन्होंने पीले रंग का झब्बा पहना हुआ हैं , इस तरह का झब्बा इस्लामिक शक्तियाँ पहनती हैं । हिंदू धर्म की देवियाँ झब्बा नहीं पहनती ।
देवी ने बाल खुले रखें हैं और मुकूट की जगह ताज पहना हुआ हैं । नाक – कान के गहने भी इस्लामिक तरह की हैं । हिंदू देवियाँ अधिकतर बालों का शृंगार करती हैं और मुकूट पहनती हैं । इस्लाम में ताज होते हैं ।
देवी ने पीठ के पीछे हरे रंग की बड़ी तकिया हैं । यह सभी इस्लामिक देवी का रूप दर्शाती हैं ।
4. एक कुत्ता और एक तोता हैं । कुत्ते का रंग , गुरु के फ्रॉक से मैच करता हैं । कुत्ते की पूँछ काली हैं , अक्सर कुत्तों की पूछ उनके शरीर के रंग की होती हैं । ( यह विशेषता ध्यान रखिए । ) कुत्ता देख रहा हैं , देवी की तरफ । यह कुत्ता उन गुरु का हैं ।
वही जो तोता हैं , उसका गहरा हरा रंग हैं । तोता , देवी का हैं । पर वो बैठा हैं गुरु के बाएँ खंदे के ऊपर ।
यह दोनों प्राणी विरुद्ध दिशा दिखा रहे हैं । जैसे संतुलन करने के लिए प्लस और माईनस होता हैं , उसी तरह ।
5. हिंदू धर्म की देवियों में जो तोता होता हैं , वह अधिकतर उनके आखों में देखता हैं । वह तोते पोपटी रंग के होते हैं , ना की गहरे हरे ।

अब पूरे Points ध्यान से देखेंगे तो यह चित्र इस्लामिक शक्ति से संबधीत हैं ।


चित्र की पार्श्वभूमी कथा ,

किसी भी प्राचीन विषयों का अभ्यास करना अत्यंत कठिन काम हैं । प्रस्तुत प्राचीन चित्र के विषय पर आपको अधिक ज्ञान के लिए छोटीसी कथा आपके सामने रखने जा रहे हैं ।
यह कथा आजके सऊदी अरब की हैं । जिसका नाम काफी हजारों साल पहले ” अराकीष्टा ” था । इस्लामिक दुनिया से सबंधी यह घटना हैं ।
चित्र में दिखाई देने वाले वह संत , उनका जन्म इस्लाम के निचली जाती में हुआ था । उस जमाने में निचली जाती वालो को अधिक ज्ञान , उपासना , साधना से दूर रखा जाता था । उन्हें कोई अधिकार इस विषय पर दिया नहीं जाता था । इन महात्मा का बचपन से ही मातापिता से दूरी बनी हुई थी और इनके परदादा अच्छे आध्यात्मिक व्यक्ति थे , यह ज्ञात था । इनके मन में उसे लेकर काफी विचार आता था ।
इन महात्मा को 🌳 वनस्पति विज्ञान में काफी रुचि थी और उसीसे संबधी वह कार्य करते थे । वनस्पतियों को लगने वाली खाद , इसका वह काम करते थे । इस्लामिक प्रदेशो का प्राचीन इतिहास आप देखेंगे तो यहूदी , ईसाई से अधिक इस्लाम प्रदेश में काफी अलग अलग संशोधन होता था । जिसे आजके दुनिया में हम इंजीनियरिंग कहते हैं ।

जब यह महात्मा पेड़ का कुछ काम कर रहे थे , तभी उन्हें एक फूल में 🐝 मधुमक्खी दिखी । मधुमक्खी ने उनको देखकर उसने बोलना शुरू किया । महात्मा जी आश्चर्य हुए , मधुमक्खी कैसे बोल सकती हैं ?
वह मधुमक्खी थोड़ी जख्मी अवस्था में छुपकर उस फूल में बैठी थी । मधुमक्खी ने कहा , ” तुम मुझे मारोगे तो नहीं ? क्योंकि में जख्मी हुँ ।

👳 महात्मा पहले ही अचरज थे की , यह हो क्या रहा हैं । उन्होंने पूछा , ” तुम बोल कैसे सकती हो ? मैंने आजतक कोई पशु पक्षी को ऐसे मनुष्यों से बोलते हुए नहीं देखा ।

मधुमक्खी ने कहा , उसकी जो जमात हैं । वह अन्य मधुमक्खी से अलग हैं , तिलस्मी दुनिया की हैं । तुम्हारा पहला कुछ अच्छा होगा इसलिए हमारी भेट हुई होगी ।

उसके बाद महात्मा ने 🐝 मधुमक्खी के लिए एक पान का बेड बनाया और आसपास 🌹 गुलाब रख दिए । जिससे की उसे कभी भूख लगे तो गुलाब का रस पी सके । हफ्ते भर में उन दोनों में अच्छी पहचान हुई । महात्मा की आमदनी पेड़ – खाद द्वारा होती थी । कुछ दिन बाद उस 🐝 मधुमक्खी ने कहा की वह उसके लिए कुछ मदत कर सकती हैं क्या ?
तो महात्मा ने कहा , मेरे परदादा के पास कुछ शक्ति थी । परंतु निचली जमात के कारण मुझे इसमें आगे का ज्ञान मिला नहीं । उस विषय पर मुझे मदत कर सकते हैं तो देखो ।
फिर मधुमक्खी ने उसकी समाज के बारे में जानकारी दी ।
🐝 मधुमक्खियों का समाज कैसा होता हैं , उसमें क्या क्या होता हैं , राजा कैसे होते हैं और काफी जानकारी दी। बाद में उसने महात्मा को एक सामान्य साधना दी ।
महात्मा बोले की , उसने आजतक कोई साधना की नहीं हैं , फिर यह में कैसे कर सकता हूँ ।
इसपर मधुमक्खी ने उसे आश्वस्त किया की , ” यह साधना करने के बाद वह मधुमक्खी के इष्ट देवता के पास पहुँचकर , उनके द्वारा महात्मा खुदकी इष्ट की तरफ जाने का रास्ता प्राप्त कर सकता हैं ।

तो साधना करने के बाद , उस 👳 महात्मा को उसके घर की परदादा से आई हुई पूर्वजों की शक्ति का अनुभव होना शुरू हुआ । इसपर मधुमक्खी ने मार्गदर्शन किया की , महात्मा की पिछली पीढ़ी के दोष के कारण यह आशीर्वाद लुप्त हो चुके थे । वह उसे साधना के द्वारा वापस मिल रहे हैं ।
अब जैसे जैसे महात्मा ने साधना की , एक दिन 🐝 मधुमख्खियों के प्रमुख देवता उसे प्रसन्न हुए । ( हर प्राणी जमात , पशु पक्षी , वृक्ष उनका अलग समाज और उनके देवता होते हैं । )
[ इस्लामिक जगत में 🏺शहद को बहुत महत्व हैं । शहद का उपयोग वह बहुत करते हैं और ❄️ इस्लामिक तंत्र में भी काफी प्रयोग के लिए लगता हैं । शहद की अलग ही इस्लामिक तंत्र विद्या हैं । ]

जब 🐝 मधुमक्खियों के देवता प्रसन्न हुए तब महात्मा ने उन्हें कहा की , ” जो मेरे सवालों के जवाब दे सके , उन शक्तियों से मुझे बात करनी हैं ।”
तब देवता ने कहा , ” तुम्हे हमारा सभी प्राणी पशुओं के समाज की देवता जिस जगह एक होती हैं , उन प्रमुख देवता से बात करनी होगी । हम जैसे देवियाँ छोटी छोटी प्राणी समाज का संरक्षण करते हैं , उन्हें मार्ग दिखाते हैं । हम सभी को निर्माण करने वाली प्रकृति कोई और ही हैं ।
उस प्रमुख देवता ने महात्मा को आगे साधना के लिए मार्गदर्शन किया । साथ में उन्हें 📖 इस्लामी ग्रंथ दिए । उनका अभ्यास करते समय उसे ⚕️ सूक्ष्म जगत दिखाई देना शुरू हुआ । जैसे जैसे प्रगति होती गई वैसे महात्मा का चेहरा – शरीर में बदलाव शुरू हुए । वो झब्बा पहनता था , बाद में उनको शरीर पर कपड़ो का वजन लगना शुरू हुआ । कपड़ो में उनका दम घुटना शुरू हुआ । तो कपड़े भी त्याग दिए उन्होंने । उनके शरीर पर बाल आना भी बंद हो गए ।

साधना के दरम्यान जो बाल गिर गए थे , उनको एक करके उन्होंने दीक्षा में मिले हुए मंत्र को एक कागज पर लिखा । उस मंत्र के अक्षरों पर उन बालो को चिपकाकर जला दिया । उससे हुआ ऐसा की जिस निचली जाती में उन्होंने जन्म लिया था , उसका तत्व पूर्ण रूप से दूर हो गया और उनको इस्लाम के सल्तनत की एक नया परिवार मिला ।
( 🔯 इस्लामी आध्यात्मिक जगत में चिश्ती , सैलानी , कादरी , दातार ई. परिवार होते हैं । यह अलग अलग पंथ हैं , उनकी अपनी एक खासियत होती हैं और उनमें सिद्धी होती हैं । )

इस्लाम में प्राचीन समय में काफी उच्चकोटी के परिवार होते थे जो अब नहीं रहे । अलग अलग आध्यात्मिक विषयो पर महारथ हासिल करने वाले गुरुओं का परिवार होता था । उन्ही में से एक 📿 ” षकृंगा ” गुरुओं का परिवार था । वह गुरुमण्डल इस महात्मा से मिलने आया । इस परिवार खासियत यह थी की यह कमर में फ्रॉक जैसा पहनते थे और मुछे अलग तरह की थी । 🏺 शहद के 151 प्रकार और उनकी सिद्धी उनके पास थी ।
इस गुरुमण्डल ने महात्मा को शहद की विद्या सिखाई , जिसके द्वारा उस जमाने में सऊदी अरब में शहद को सोने जैसा भाव मिला । लोग अलग अलग उपचार में उपयोग करने लगे । परंतु बाद में वह विद्या विलुप्त हुई ।
( सऊदी अरब को पुराना नाम ” अराकीष्टा ” था । कीष्टा मतलब लाडली लड़की । अरा यानी सबसे बड़ी ताकद । )

पूर्वकाल में अलग अलग 🌏 देश के 🖋️ साहित्यिक , कवि , 🖌️ चित्रकार नए नए प्रदेशों में जाते थे । ऐसे ही एक चित्रकार ने इस्लाम का अभ्यास , उनके प्रदेश घूमते समय उसे यह चित्र अलग अलग जगहों पर देखा । उसी ज्ञान को एक करके यह चित्र बनाया था । चित्र भी अपने आप में एक साहित्य – एक ग्रंथ – एक विद्या हैं ।

गुरुमण्डल द्वारा आगे की विद्या सिखकर , महात्मा का संपर्क एक दिन उस देवी से हुआ । जो आप चित्र में देख रहे हैं । यह देवी इजिप्ट + अरेबिक दोनों मिश्र शक्ति हैं । जैसे बगलामुखी पीले रंग की शक्ति , उसी स्तर की यह इस्लाम की देवी हैं । फिर उस देवीने महात्मा को आगे का ज्ञान दिया । देवी के हाथों में आइना हैं , उस आइने में उसने काफी ज्ञान दिया । वह कुत्ता , देवी का भैरव हैं । जब किसीकी बहुत आध्यात्मिक उन्नति द्वारा बड़ी शक्तियों से भेट होती हैं , तब वह शक्ति उन्हें भेट देती हैं । क्योंकि उच्चकोटि की शक्तियों से मिलना असंभव हैं । तो वह तोता , देवी ने उन्हें भेट दिया हैं ।

इस तरह से यह प्राचीन अर्थ उस चित्र का हैं ।

Article Publish & Research by SriVidya Pitham 
Special thanks to SriSwami Samarth Maharaj & SriSailani Baba ( नक्शे बंदी परिवार ) .

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