श्रीविद्या ~ श्रीयंत्र … प्राथमिक ज्ञान ~ भाग १
ॐ
नमस्ते मित्रों , श्रीविद्या पीठम में स्वागत हैं ।
श्रीविद्या एक दीर्घ अभ्यास पद्धति हैं । काफी लोगों को श्रीविद्या का अर्थ मंत्र लेकर जप करना अथवा घर में श्रीयंत्र रखना , ऐसा लगता हैं । दुनिया में काफी लोग लाखो रुपए खर्च करके गलत श्रीविद्या दीक्षा में फस चुके हैं ।
श्रीविद्या साधना में उतरने से पूर्व आपको इस विद्या का काफी विस्तारित ज्ञान होना जरूरी हैं ।
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श्रीविद्या साधनाक्रम में अंतिम स्तर पर नवावर्ण पूजन संपन्न होता हैं । नवावर्ण अर्थात नवयोनियों का पूजन । नवयोनी अर्थात श्रीयंत्र ।
परंतु … श्रीयंत्र के पूजन से पूर्व साधक के पहले चार स्तर श्रीविद्या के पूर्ण करने होते हैं । १. महागणपति २. राजमातंगी ३. महावाराही ४. बाला त्रिपुरसुंदरी ५. श्रीललिता त्रिपुरसुंदरी ( पंचदशी दीक्षा )
इनके उपरांत ही आप अंतिम पूजन की तरफ बढ़ सकते हैं ।
आजके इस भाग में हम श्रीयंत्र का ९ आवरणों का ज्ञान लेंगे ।
९ आवरण कौनसे हैं ? उनके नाम ? श्रीयंत्र पर वो कहा आते हैं ?
९ आवरणों की मुद्राओं के नाम और उनके बीज मंत्र ?
प्रथम आप श्रीयंत्र की आकृति देखिए ।
१) त्रैलोक्यमोहन चक्र
प्रथम हम शुरू करेंगे , बाहरी भूपुर से । श्रीयंत्र की बाहरी दीवार अथवा चतुरस्र ( चौकोनी भाग ) । श्रीयंत्र की इस जगह को त्रैलोक्यमोहन चक्र भी कहा जाता हैं । इसमें तीन रेखाएं होती हैं । तीन प्रकार की दीवारें , जो श्रीयंत्र का रक्षण करती हैं ।
§ वृत्तत्रय चक्र
श्रीविद्या में पंचदशी दीक्षा तक अभ्यास करते समय , श्रीयंत्र पूजन में वृत्तत्रय चक्र का पूजन नहीं करते हैं । जब पंचदशी के आगे षोडशी दीक्षा होती हैं , तभी षोडशी साधक को वृत्तत्रय चक्र पूजन सिखाया जाता हैं । इसलिए पंचदशी दीक्षा में यह दूसरा आवरण नहीं हैं , परंतु षोडशी में यह दूसरा आवरण हैं । यह अधिक ज्ञान के लिए बता रहे हैं । षोडशी दीक्षा एक अलग विषय हैं । इसलिए हम उसे यहां नहीं लेंगे । वृत्तत्रय चक्र में भी तीन आवरण होते हैं । अर्थात तीन वर्तुल होते हैं ।
२) षोडशदल चक्र ( १६ पंखुड़ी ) सोलह पंखुड़ी वाला यह चक्र हैं ।
३) अष्टदल चक्र ( ८ पंखुड़ी ) । आठ पंखुड़ी वाला यह चक्र हैं ।
४) चतुर्दशार चक्र ( १४ त्रिकोण ) । १४ त्रिकोण वाला यह चक्र हैं ।
५) बहिर्दशार चक्र ( १० त्रिकोण ) । १० त्रिकोण वाला यह चक्र हैं ।
६) अंतर्दशार चक्र ( १० त्रिकोण )
श्रीयंत्र में दो आवरण ऐसे हैं , जिसमे १० – १० त्रिकोण आते हैं । दोनों के नाम और उनकी शक्तियां अलग हैं । १० त्रिकोण वाला यह चक्र हैं ।
७) अष्टकोण चक्र ( ८ त्रिकोण )
८) त्रिकोण चक्र ( १ त्रिकोण ) । एक त्रिकोण वाला यह चक्र हैं ।
९) बिंदु स्थान चक्र ( अंतिम बिंदु ) । श्रीयंत्र का अंतिम मध्य बिंदु , यह नवावर्ण पूजन में ९ वी योनी अथवा ९ वा आवरण हैं ।
इस तरह से नव आवरण वाला यह श्रीयंत्र पूर्ण होता हैं । यह प्राथमिक ज्ञान हैं , जो आपको श्रीविद्या में आगे बढ़ने के लिए जरूरी हैं । इन सबका और भी अधिक विश्लेषण हैं ।
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