श्रीयंत्र प्रथम आवरण : भुपूर Explanation

श्रीयंत्र प्रथम आवरण : भुपूर Explanation

श्रीविद्या ~ श्रीयंत्र … प्राथमिक ज्ञान ~ भाग २

नमस्ते मित्रों , श्रीविद्या पीठम में स्वागत हैं ।

श्रीविद्या एक दीर्घ अभ्यास पद्धति हैं । काफी लोगों को लगता हैं की , श्रीविद्या का अर्थ मंत्र लेकर जप करना अथवा घर में श्रीयंत्र रखना हैं । दुनिया में काफी लोग लाखो रुपए खर्च करके गलत श्रीविद्या दीक्षा में फस चुके हैं ।

श्रीविद्या साधना में उतरने से पूर्व आपको इस विद्या का काफी विस्तारित ज्ञान होना जरूरी हैं ।

This Article Publish by SriVidya Pitham .

श्रीविद्या साधनाक्रम में अंतिम स्तर पर नवावर्ण पूजन संपन्न होता हैं । नवावर्ण अर्थात नवयोनियों का पूजन । नवयोनी अर्थात श्रीयंत्र ।

Point : 1

इस लेख में हम श्रीयंत्र का ” पहला आवरण : भुपुर ” … इनके बारे में जानकारी लेंगे । श्रीललिता त्रिपुरसुंदरी का राजमहल श्रीयंत्र हैं । इसकी बाहरी दीवार को भुपुर कहते हैं । यहां तीन दीवारे हैं । हर दीवार पर अलग अलग शक्तियां विराजमान होकर अंदर की शक्तियों का संरक्षण करती हैं । श्रीयंत्र में हर एक आवरण….. चक्र कहा जाता हैं । भुपुर को ” त्रैलोक्यमोहन चक्र ” कहा जाता हैं ।

हर चक्र ( आवरण ) की एक चक्रेश्वरी देवी होती हैं और एक योगिनी शक्ति होती हैं । जो उस पूर्ण परिसर की देवी देवताओं पर अधिपत्य रखती हैं । चक्रेश्वरी देवी और योगिनी का काम अलग अलग हैं ।

भुपूर की चक्रेश्वरी देवी – ” त्रिपुरा चक्रेश्वरी देवी “ हैं । और भुपूर की समस्त शक्तियों की योगिनी का नाम – ” प्रकट योगिनी “ हैं ।

{ भुपूर के अंदर जो भी तीन दीवारे हैं । तीनों दीवारों की हर शक्तियां इन दोनों चक्रेश्वरी देवी और योगिनी देवी के अधिपत्य में ही आती हैं । श्रीयंत्र में सभी आवरण में … हर आवरण की चक्रेश्वरी देवी और योगिनी देवी होती हैं और उनके नाम अलग अलग हैं । }

Point : 2

अब हम तीनों दीवारों पर कौनसे देवी शक्तियां होती हैं, वह देखेंगे ।

🔲 प्रथम दीवार पर १० सिद्धि देवियां होती हैं ।

🔲 द्वितीय दीवार पर ८ मातृका देवियां होती हैं । 

🔲 तृतीय दीवार पर १० मुद्रा देवियां होती हैं । 

Point : 3

आगे जो आकृति द्वारा अधिक जानकारी दी हैं , उसे पूरी ध्यान से देखिए । आगे की तस्वीर में भुपुर की तीन रेखा कहा आती हैं ? हर रेखा में कौनसी देवी शक्तियां होती हैं ? ध्यान से देखिए । 


प्रथम रेखा : भुपूर की प्रथम रेखा । यहां पर दस प्रकार की सिद्धि देवियां होती हैं । श्रीयंत्र स्थापना विधि में और श्रीविद्या दीक्षा पद्धति में हर आवरण की पूजा हैं । प्रत्येक सिद्धि देवी भुपूर पर कहा स्थित हैं , उसका निरीक्षण कीजिए । 

 


द्वितीय रेखा : भुपूर की दूसरी अंदर की रेखा । यहां पर आठ मातृका देवियां स्थित होती हैं । प्रत्येक मातृका देवी श्रीयंत्र पर कहा आती हैं , उसका निरीक्षण कीजिए ।

 


तृतीय रेखा : भुपूर की तिसरी अंदर की रेखा । यहां पर दश मुद्रा देवियां स्थित होती हैं । प्रत्येक मुद्रा देवी श्रीयंत्र पर कहा आती हैं , उसका निरीक्षण कीजिए । 

 


Point : 4

श्रीयंत्र में प्रत्येक आवरण की एक मुद्रा होती हैं । हाथों की उंगलियों द्वारा मुद्रा करके , श्रीयंत्र पूजन में देवी ललिता को वह दिखानी होती हैं । इन सबके बिना श्रीविद्या दीक्षा पूर्ण नहीं हैं । भुपूर पूजन में सर्व संक्षोभिनी मुद्रा आती हैं । इस मुद्रा का बीज ” द्रां ” हैं । मुद्रा की आकृति नीचे देखिए । 

 


 

इस लेख में हमने श्रीविद्या दीक्षा पद्धति में श्रीयंत्र नवावर्ण पूजन में प्रथम आवरण भुपूर का अभ्यास किया । श्रीविद्या सीखने हेतु और श्रीविद्या अधिक ज्ञान हेतु , हमारे Online Courses देख सकते हैं ।

धन्यवाद । 

SriVidya Pitham : 9860395985

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