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इस लेख में हम एक तिब्बती अस्त्र के विषय पर ज्ञान अर्जित करेंगे । जिसका नाम ” ध्रुशेश ” हैं । इस ज्ञान के लिए हम तिब्बती लामा तंत्र के महायान की प्रमुख देवी मँजूश्री को प्रणाम करते हैं । देवी मँजूश्री के बिना इतना गहन ज्ञान हमारे तक पहुँचता ही नहीं ।
ध्रुशेश शब्द की व्याख्या क्या हैं ?
ध्रु – धार का तत्व अथवा तीव्र ऊर्जा , जैसे किसी तलावर धार होती हैं अथवा चाकू की धार होती हैं । धार खुद एक बड़ी एनर्जी हैं और किसी भी अस्त्र शस्त्र को बिना धार के कोई महत्व नहीं होता । शेश – अस्त्र इस शब्द का बुद्धिस्ट तंत्र का नाम कह सकते हैं ।
ध्रुशेश अस्त्र क्या हैं ?
इस अस्त्र को समझने के लिए हमने उसे तीन भाग में बाट दिया हैं । तीन अलग अलग हिस्सों को जोड़कर इस अस्त्र को बनाया हैं । आप इसके लिए नीचे का अस्त्र की आकृति देखिए । ध्रुशेश अस्त्र होता कैसे हैं ।
1. अस्त्र के बीच वाला हिस्सा आप देखिए । यह हिस्सा ऊपर के चार कोनों के एनर्जी को अस्त्र से जोड़ता हैं । इस बीच वाले हिस्से में वायु का तत्व जोड़ा हुआ हैं । जब आप भाला फेंकते हैं , भाले में वायु की गति का तत्व होता हैं । वायु तत्व भाले में बल पैदा करता हैं । वैसे ही ध्रुशेश के बीच वाला हिस्सा इस अस्त्र में गति का बल देने का कार्य करता हैं । यह अस्त्र भाले जैसा फेंका जाता हैं । इस बीच वाले हिस्से में लामाओं में प्रार्थना करने की जो घण्टियाँ मंदिर अथवा बुद्धिस्ट मोनेस्ट्रियों के बहार लगी हुई रहती हैं , वो एनर्जी होती हैं । वह घण्टियाँ बहुत मोटी लंबी होती हैं । उनपर दिव्य मंत्रो को लिखा हुआ रहता हैं और उस मंत्रो को हाथ लगाकर हमें वो घँटी घुमानी होती हैं । वह एनर्जी का फोर्स इस अस्त्र के मध्य जोड़ा गया हैं ।
2. ध्रुशेश अस्त्र के ऊपर चार कोनों वाला जो त्रिशूल टाईप का आपको दिखता हैं , इसे माघधान कहा जाता हैं । माघधान अर्थात अस्त्र की धार को पीछे से जो सीक्रेट बल दिया जाता हैं , वह तत्व को कहते हैं । यह चार कोन चार महाभूत होते हैं । जब आगे की अस्त्र की धार का बल कभी कम पड़ जाए तो उसे इस गुप्त चार तत्वों से बल देकर अस्त्र की धार को संतुलित किया जाता हैं ।
3. ध्रुशेश अस्त्र की बनावट चंद्र की तरह होती हैं । क्योंकि यह अस्त्र का उपयोग आसमान से जो तारा टूटता हैं , उसका चूर चूर करने के लिए हैं । अगर कोई तारा टूटने पर भूमि पर गिरता हैं , तो भूमि का बड़ा हिस्सा तबाह हो सकता हैं । तारे की ताकद को चंद्र का प्रकाश ही काट सकता हैं ।
यह सारा वैज्ञानिक रहस्य हैं । इस ध्रुशेश अस्त्र का उपयोग तांत्रिक मार्ग से किया जाता हैं । प्रयोग से पहले काफी घंटो तक दही में इस अस्त्र को डुबोकर रखा जाता हैं ।
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