Sri-MahaGanpati Sadhna ( SriVidya Sadhana 1st Stage )

ll श्री महागणपति साधना ll

श्रीविद्या पीठम द्वारा , पहली बार ऑनलाइन रूप में हम श्रीविद्या क्रमदीक्षा अंतर्गत पहली साधना आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं । 

श्रीविद्या साधना की 1st Stage श्रीमहागणपति साधना हैं । 

इस साधना में हमने आपको संपूर्ण तर्पन विधी , यंत्र पूजन , अभिषेक विधान , हवन मार्गदर्शन सहित महागणपति के विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी भी दी हैं । इसके साथ आपको तीन पुस्तके , यंत्र और फोटो भी मिलेंगी । 

श्रीमहागणपति जी , श्रीललिता महात्रिपुरसुंदरी के पुत्र हैं । उन्हें प्रथम स्थान श्रीविद्या में दिया गया हैं । इनके बिना श्रीविद्या की शुरुआत नहीं होती । श्रीललिता का चैतन्य को समझने के लिए गणेश साधना बहुत जरूरी हैं । 

१) सर्वप्रथम साधक को जो पीढ़ियों से लगा हुआ , कुलाचार कुलदेवी के दोष हैं ; काफी लोगो को कुलाचार क्या होता हैं और कुलदेवी क्या होती हैं ? पता नहीं होता और सीधे बड़ी बड़ी साधना करते हैं । जबतक कुलाचार का आशीर्वाद नहीं मिलते , तबतक कोई साधना सफल नहीं होती न शक्ति आपको आगे बढ़ने में मदत करती हैं । 

इसलिए श्रीमहागणपति साधना , कुलाचार दोष से आपको मुक्ति देने के लिए मदत करते हैं । 

२) कुलाचार में जिस प्रकार से कुलदेवी कुलदेव होते हैं , उसी प्रकार से पितर होते हैं । पितरों का बहुत बड़ा समुदाय होता हैं । उन्हें भी मुक्ति चाहिए होती हैं और कुछ को नया जन्म । इन के ऋण से मनुष्य आगे नहीं बढ़ सकता । श्रीमहागणपति साधना इन में भी मदत करते हैं।  

३) ब्रम्ह ग्रंथी की शुद्धि । मूलाधार चक्र से स्वाधिष्ठान चक्र तक ब्रम्ह ग्रंथी हैं । कुलाचार और पितर , दोनों भी इसकी जड़ें हैं । व्यक्ति 90% इनके फंदे में ही फसा रहता हैं । ब्रम्ह ग्रंथी , कर्मों के दोष इसी में अधिक रहते हैं । इन सबके लिए यह साधना महत्वपूर्ण हैं । 

४) आध्यात्मिक विषयो में आगे बढ़ने से पूर्व साधक को भौतिक जीवन में जो समस्याएं हैं , उनसे दूर करके आगे बढ़ना जरूरी हैं । साधक के भौतिक जीवन को सुस्थिर करना , कोई भी महत्वपूर्ण समस्या से मुक्त करना इनके लिए यह मदत करते हैं । 

५) श्रीमहागणपति के द्वारा ही हर सृष्टि की रचना देवी ललिता करती हैं । श्रीमहागणेश अनंत सृष्टि का मूल नाद हैं और इस अनंत सृष्टि का मूलाधार । उनके शक्ति के नाद द्वारा ही एक एक ब्रम्हांड निर्माण होता हैं । इसलिए , इनकी साधना आवश्यक हैं । 

६) कुंडली में मंगल और केतु ग्रहों का दोष दूर होता हैं । 

७) हमेशा किसी व्यक्ति को एक्सीडेंट होते हैं , हड्डीयो को लगती है , हमेशा दूसरे विषयों की गलती में कोई फसता हैं , हमेशा कोई न कोई झगड़ा पीछे रहता हैं । इन सबके लिए यह साधना मुक्ति देती हैं । 

८) एक दिन की हुई श्रीमहागणपति साधना , पाँच श्राद्धकर्म के पुण्य बराबर हैं और दस नवग्रह शांति के पुण्य बराबर हैं । श्राद्ध कर्म क्रियाओं के द्वारा पितरों को एकदम से गति नहीं मिलती , महागणेश साधना इसमें बहुत जल्दी अनुभव देती हैं । 

९) श्रीविद्या साधना में श्रीमहागणपति साधना किए बिना कोई भी साधक आगे नहीं बढ़ सकता । श्री दत्तात्रेय परंपरा और उनसे भी आदिकाल से चली आ रही हयग्रीव परंपरा में भी यही नियम हैं । 

१०) भंडासुर के पुत्र विशुक्र ने काले जादू के तँत्र से तांत्रिक गणेश की स्थापना श्रीयंत्र के अंदर छुपके से की थी , जिससे कि संपूर्ण श्रीयंत्र की देवियो पर आलस्य , स्मृति विनाश छाया हुआ था , उनको अपने शक्ति का एहसास भी नहीं था ; श्रीमहागणपति जी ने उस तांत्रिक गणेश के बंधन को तोड़ दिया था । इसलिए , यह साधना कोई भी काला जादू तोड़ने में सक्षम हैं । 

वैसे , जब आप यह साधना करेंगे तो काफी कुछ समझ आएंगा । यह अपने आप में बहुत कुछ सिखाती है और एकदम अलग साधना हैं । जड़त्व को नष्ट करने वाली होने के कारण , इसके अनुभव भी बहुत अलग हैं । 

इस साधना के द्वारा आप श्रीविद्या साधना में आप प्रवेश कर रहे हैं ।

१) श्रीमहागणपति तर्पन

२) श्रीमहागणपति अभिषेक

३) श्रीमहागणपति यंत्र पूजन

श्रीमहागणपति पुस्तक :- with 3 books and 1 yantra

 

DAKSHINA : Rs. 5000/- AND 125$ 

( कृपया , यह साधना करने से पूर्व श्रीविद्या संबधि प्राथमिक जानकारी प्राप्त कीजिए । इस साधना को करने से पहले , हमसे संपर्क कीजिए , उसके बिना दक्षिणा मत भेजिए । )

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