नमस्कार मित्रों _
श्रीविद्या पीठम में आपका स्वागत हैं ।
This Article Publish by SriVidya Pitham .
विषय : इस लेख का विषय हैं , ” श्रीबगलामुखी देवी ” के पुत्र श्री हरिद्रा गणेश जी को रात्री गणेश क्यों कहते हैं ? देवी बगलामुखी यह संपूर्ण सफेद तत्व की ऊर्जा हैं , फिर उनके पुत्र को रात्री गणेश क्यों कहते हैं ?
🌕 कथा :
एक समय श्रीमहागणपति ( श्रीललिता पुत्र ) जी श्रीयंत्र राजमहल के बगीचे में पुष्प के लिए गए थे । उनकी माता देवी श्रीललिता त्रिपुरसुंदरी की पूजा के लिए पुष्प की आवश्यकता थी । जब वह पुष्प तोड़ रहे थे , उनके हाथ में सोने की कड़ा थी । वह सुवर्ण कड़ा एक पेड़ को दो चार बार घिसी । अब यह सुवर्ण कड़ा स्वयं ” श्री महागणपति ” की हैं । कड़ा के घिसने के कारण , उस पेड़ से एक द्रव्य निकलना शुरू हुआ ।
उस समय श्री महागणपति को समझ नहीं आया । परंतु _ कुछ दिनों तक द्रव्य बहते बहते पेड़ के नीचे जमा हो गया । हमारा यहां जैसे पेड़ से डिंक निकलता हैं , उसी तरह का वह डिंक था । बहुत जमा होने के कारण उसका आकार गणेश जैसा हुआ ।
कुछ दिन बाद उन्हें इस बात का अंदेशा हुआ , तब उन्होंने उस पेड़ की क्षमा मांगी । स्वर्ण से घिसने के कारण , उससे निकला हुआ डिंक भी शहद रंग था और उसमें सुवर्ण शक्ति का अंश था । सुवर्ण अर्थात देवी बगलामुखी ।
श्रीललिता त्रिपुरसुंदरी स्वयं देवी बगलामुखी की पुत्री हैं ।
इसलिए _ बगलामुखी पुत्र हरिद्रा गणपति का अप्रत्यक्ष संबंध ललिता पुत्र महागणपति से आता हैं ।
अत: उस डिंक से बने गणेश में दोनों की ऊर्जा थी । श्रीमहगानपति जी ने उस प्रतिमा का श्री हरिद्रा गणेश तत्व से उसी पेड़ के नीचे पूजन किया । यही प्रतिमा का नाम ” रात्री गणेश ” हुआ ।
🌑 रात्री का शब्दार्थ :
पेड़ से निकले डिंक का रंग शहद जैसा होता हैं । हमारे मनुष्य लोक में कड़वाहट वाली औषधि में मीठापन आने के लिए मीठी वनस्पति रस उपयोग में लाते हैं ।
उसी तरह ऊपरी जगत में एक रानेत्री वनस्पति होती हैं । जिसका रस का रंग भी डिंक जैसा होता हैं और वह मधुर भी होता हैं । इसलिए अपभ्रंश होकर ” श्रीरात्री गणेश ” नामकरण हुआ । असल में वह रात्र गणेश नाम हैं ।
🟠 श्रीललिता त्रिपुरसुंदरी का संबंध :
अन्य एक गोपनीय जानकारी अनुसार _ देवी श्री बगलामुखी ने एक समय पर उनकी पुत्री श्रीललिता त्रिपुरसुंदरी को आशीर्वाद स्वरूप में ” श्रीरात्री गणेश ” दिए थे ।
जैसे विवाह पश्चात एक माँ अपने बेटी को ससुराल जाने से पूर्व आशीर्वाद रूप में कृष्ण अथवा अन्नपूर्णा मूर्ति देती हैं । जिससे की , बेटी के ससुराल में संतान सुख , अन्न सुख बना रहे ।
उसी तरह से देवी श्रीबगलामुखी ने यह आशीर्वाद रूप दिया था ।
🌕 रात्री गणेश का रूप :
उन्हे ६ दिशा में ६ सूंड हैं । हर एक सूंड में 🏺अमृतकलश हैं । एक एक अमृतकलश – सुख समृद्धि यश संतानसुख का कारक हैं । इनका कुछ संबध देवी श्रीललिता त्रिपुरसुंदरी के हाथों में गन्ना है , उससे भी आता हैं । देवी के हाथों में गन्ना हैं , उसके ऊपर लंबे पत्ते हैं ।
आपने 🌿 कभी विचार किया हैं ? की इस गन्ने के एक एक पत्ते का रहस्य क्या हैं ?
असल में इस एक एक पत्ते से एक एक रस अमृत का रस टपकता हैं ।
उपरोक्त लेख हमारे श्रीविद्या पीठम द्वारा प्रकाशित और संशोधित हैं । हम श्रीविद्या साधना का अत्यंत सूक्ष्म अभ्यास करते हैं । अधिक सूक्ष्म ज्ञान की हेतु हमसे संपर्क कर सकते हैं ।