श्रीविद्या ~ श्रीयंत्र … प्राथमिक ज्ञान ~ भाग ११
ॐ
नमस्ते मित्रों , श्रीविद्या पीठम में स्वागत हैं ।
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श्रीविद्या साधनाक्रम में अंतिम स्तर पर नवावर्ण पूजन संपन्न होता हैं ।
नवावर्ण अर्थात नवयोनियों का पूजन ।
नवयोनी अर्थात श्रीयंत्र । श्रीविद्या साधना हेतु और श्रीविद्या ज्ञान हेतु हमसे संपर्क कर सकते हैं ।
🔻 बिंदू चक्र आवरण Explanation ( मध्यबिंदु )
श्रीविद्या पंचदशी दीक्षा पद्धति में त्रिकोण चक्र यह नवम आवरण हैं ।
एक त्रिकोण से बना यह आवरण हैं ।
इसे ” सर्वानंदमय चक्र ” कहते हैं । इस आवरण की चक्रेश्वरी देवी – महात्रिपुरसुंदरी देवी । ” परापरा रहस्य योगिनी ” इस चक्र की योगिनी देवी हैं ।
श्रीविद्या पद्धति में इन हर एक देवी का गुप्त ज्ञान हैं । हर देवी के अलग अलग ग्रंथ हैं और उनकी विद्या भी हैं ।
श्रीयंत्र के अंतिम बिंदु पर पंचदशी दीक्षा अनुसार अर्थात नवावर्ण पूजन में सिर्फ श्रीललिता का पूजन होता हैं । नवावर्ण पूजन में बिंदु पर शुरवाती और अंतिम में ६४ प्रकार के उपचार पूजन किए जाते हैं ।
जैसे नवावर्ण पूजन में बिंदु ९ वा आवरण बनता हैं । उसी तरह षोडशी दीक्षा में यही बिंदु १० वा आवरण बनता हैं ।
श्रीविद्या अंतर्गत षोडशी दीक्षा पद्धति में इसी मध्यबिंदु पर १५ देवियों का पूजन होता हैं । ( पंचदशी में इनका पूजन नहीं होता । यह जानकारी आपके अधिक ज्ञान के लिए दे रहे हैं । )
श्रीविद्या अंतर्गत षोडशी पूजन में इसी मध्यबिंदु को ” बैंदव चक्र ” भी कहते हैं ।
तथा जैसे पंचदशी में मध्यबिंदु की चक्रेश्वरी – महात्रिपुरसुंदरी बनती हैं , वही षोडशी दीक्षा में ” श्रीत्रिपुर भैरवी ” देवी बनती हैं ।
पंचदशी के बाद षोडशी दीक्षा में काफी बदलाव होते हैं ।
षोडशी अंतर्गत १५ देवियों के नाम – रति , प्रीति , मनोभवा, द्रविणी, क्षोभिनी , वशीकरिनी , आकर्षिणी , सुमिनकेतना , सुभगा , भगा , भगसर्पिणी , भगमालिनी , अनंगा , अनंग मेखला , अनंग मदनातुरा । इन १५ देवियों का पूजन बिंदु पर ही होता हैं ।
” ShriVidya Pitham imparts esoteric knowledge of the highest order to its seekers. The wisdom available at Srividya Peeth is exclusive and unattainable elsewhere. You can enroll in courses with us to delve deeper into the mystical teachings of SriVidya Sadhana. Numerous seekers have already benefited from the knowledge they’ve received from us . ”
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