Sri Vidya – Panchadashi “Ka” Decoded (पंचदशी ” क ” कार) १
◆ श्रीविद्या साधना अंतर्गत पंचदशी मंत्र का ” ककार ” ◆ भाग : 1 श्री ललिताय नमः ।। प्रसन्नोस्तु जगन्मात : ।। मेरे शरीरधारी गुरु
◆ श्रीविद्या साधना अंतर्गत पंचदशी मंत्र का ” ककार ” ◆ भाग : 1 श्री ललिताय नमः ।। प्रसन्नोस्तु जगन्मात : ।। मेरे शरीरधारी गुरु
◆ श्रीविद्या साधना अंतर्गत श्रीगणेशी ( विनायकी ) देवी ◆ मेरे शरीरधारी गुरु तथा मेरे पराजगत के गुरु श्रीमहावतार बाबाजी को प्रणाम , करके उनकी
◆ श्रीविद्या अंतर्गत अद्वैत वेदान्त का पथ ◆ श्रीविद्या साधक को श्रीविद्या के विस्तीर्ण क्षेत्र में अपना व्यक्तिगत अभ्यास रखना चाहिए। अपने आपको एक नियम-शिस्त
◆ श्रीविद्या श्रीपरमशिव की कृत्या साधना ◆ भाग : २ शिव जी की पत्नी सती को दक्ष ने यज्ञकार्य में नहीं बुलाया । समस्त देवता
◆ श्रीविद्या श्रीपरमशिव की कृत्या साधना ◆ भाग : १ मेरे शरीरधारी गुरु तथा मेरे पराजगत के गुरु श्रीमहावतार बाबाजी को प्रणाम , करके
◆ श्रीविद्या अंतर्गत शिव तत्व के ग्रंथ ◆ श्रीविद्या साधने दीर्घ सूत्री ज्ञान विषय मे , श्रीविद्या साधक को शिव जी ने कितने सारे ज्ञान
पिछले लेख से आगे शुरुआत करते हैं , ….. सर्वप्रथम हिरण्यगर्भ से अंडे के रूप का एक मुख प्रकट हुआ।
श्रीविद्या अंतर्गत सौंदर्यलाहिरी ” हिरण्यगर्भ ” ◆ भाग : १ श्रीविद्या अंतर्गत सौंदर्यलाहिरी के विषयों में आज हिरण्यगर्भ का विषय
◆ श्रीविद्या अंतर्गत सौंदर्यलाहिरी ब्रम्ह भ्रम औऱ मल ◆ आदिशंकराचार्य जी ने किस रूप से अपनी साधना कर अद्वैतता को पहुचे
अनादि निधनं ब्रम्ह शब्दमक्षर संज्ञीतम । या – अनादि निधनं ब्रम्ह शब्दतत्वं यदक्षरं ।। ……. अर्थात वर्ण को ब्रम्ह कहा